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स्वीडन में जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च कर रहे डा.पाठक जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा
By Deshwani | Publish Date: 14/12/2017 1:18:14 PM
स्वीडन में जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च कर रहे डा.पाठक जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा

हमीरपुर, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में अति दुर्गम इलाके में जन्मे डा.रविकांत पाठक स्वीडन का गोटेनवर्ग यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर होने के बावजूद स्वदेश से नाता खत्म अभी खत्म नहीं हुआ है। शुरू में वह अपने इलाके में बाग लगाकर मौसमी फल की पैदावार करते थे लेकिन वह इन दिनों जैविक खेती कराने के साथ ही अब किसानों को इसके लिये जागरूक कर रहे हैं। 
जिले के बिंवार थाना क्षेत्र के छेड़ी बसायक गांव के मूल निवासी रविकांत पाठक की शिक्षा मुम्बई में हुयी। फिर आईआईटी मुम्बई से बीटेक व एमटेक कर हांगकांग की यूनीवर्सिटी में स्कालरशिप के साथ उनका चयन हुआ। स्वीडन की गोटेनवर्ग यूनीवर्सिटी में वह प्रोफेसर के पद पर जलवायु परिवर्तन एवं वायुमंडलीय विषय पर शोध कर रहे हैं। महात्मा गांधी से प्रभावित डा.पाठक ने गांव में भारत उदय मिशन का गठन करने के साथ ही वर्ष 2007 से शुरू में 30 एकड़ भूमि पर बाग लगाकर किसानों को इस ओर आने के लिये जागरूक किया। इन दिनों वह 100 एकड़ से अधिक भूमि पर वह जैविक खेती करवा रहे हैं। जब कभी अपने देश आते हैं तो वह गोष्ठियों और रैलियों के माध्यम से गांव वालों को जैविक खेती के लिये कहते हैं। डा.पाठक ग्रामीण विकास, गौशाला का निर्माण, वृक्षों का संरक्षण व आधुनिक खेती के बारे में हमेशा जानकारी लोगों को देते रहते हैं। 
डा.रविकांत पाठक कहते हैं कि ग्रामीण विकास का सीधा मतलब,लोगों का आर्थिक सुधार व बड़ा सामाजिक परिवर्तन लाना है। उनका कहना है कि मिट्टी में जीवाणुओं का पाया जाना यह साबित करता हैै कि वह कृषि को उर्वरा शक्ति प्रदान करते हैं। जैविक कृषि में खेत जीव और जीवाश्म का काफी महत्व होता है। जीवों के अवशेष से जो भी खाद्य बनती है उसे जैविक खाद् और उस पर आधारित कृषि को जैविक कृषि कहा जाता है। प्रोफेसर डा.पाठक के मुताबिक भारत उदय मिशन के तहत एक इन्टरनेशनल रिसर्च सेंटर की स्थापना की गयी है जिसमें रिसर्च करने के लिये हिन्दुस्तान से बाहर के वैज्ञानिक भी आते हैं। 
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