लखनऊ, (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2001 में संसद पर हुये आतंकी हमले को याद करते हुए देश के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘16 वर्ष पूर्व आज ही के दिन संसद पर आतंकी हमले में शहीद हुए वीर सैनिकों को शत् शत् नमन्। आपके बलिदान को देश सदैव याद रखेगा।’’
13 दिसम्बर 2001 को आतंकियों ने भारतीय संसद पर हमला किया था। उस आतंकी हमले में दिल्ली पुलिस के छह सदस्य, दो पार्लियामेंट सेक्योरिटी सर्विस के सदस्य शहीद हुए थे। संसद परिसर का एक कर्मचारी भी मारा गया। जवाबी कार्रवाई में पांचों आतंकी ढेर कर दिए गए। उस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर पहुंच गया था और भारत ने पश्चिमी मोर्चे पर सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया था।
आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के पांच आतंकी दोपहर 11.40 बजे डीएल-3सीजे-1527 नम्बर वाली अम्बेसडर कार से संसद भवन के परिसर में गेट नम्बर 12 की तरफ बढ़े। गृह मंत्रालय और संसद के लेबल वाले स्टीकर गाड़ी पर लगे होने के कारण प्रवेश मिल गया। उससे ठीक पहले लोकसभा और राज्यसभा 40 मिनट के लिए स्थगित हुई थी और माना जाता है कि तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 100 संसद सदस्य उस वक्त सदन में मौजूद थे।
सबसे पहले सीआरपीएफ की कांस्टेबल कमलेश कुमारी ने आतंकियों को देखा और तत्काल अलार्म बजाया। आतंकियों की गोली में मौके पर उनकी मौत हो गई। एक आतंकी को जब गोली मारी गई तब उसकी सुसाइड वेस्ट से विस्फोट हो गया और बाकी चार आतंकियों को भी सुरक्षाबलों ने मौत के घाट उतार दिया।
इस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर करीब आठ महीने तक जंग के हालात बने हुए थे। यह हमला कारगिल में हुई जंग के बाद हुआ था और जंग के बाद दोनों देशों के बीच पहले से ही तनाव था। हमले के बाद यह तनाव चरम पर पहुंच गया था। संसद पर हुए हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च हुआ और दोनों देश कारगिल की जंग के ढाई बरस बाद एक बार फिर से आमने-सामने थे। अफजल गुरु को इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।