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शहर में चल रहे धड़ल्ले से अवैध मोबाइल टावर, सुध नहीं ले रहा प्रशासन
By Deshwani | Publish Date: 13/12/2017 11:16:08 AM
शहर में चल रहे धड़ल्ले से अवैध मोबाइल टावर, सुध नहीं ले रहा प्रशासन

 गोरखपुर, (हि.स.)। कहीं न कहीं विभाग अपने जिम्मेदारियों से मुकर रहा है जिसका परिणाम है कि शहर में बगैर बेरोक-टोक के मोबाइल टावर चल रहे हैं। और महकमा खर्राटे की नींद में मस्त है। बता दें कि मेबाइल टावर का नक्शा पास होने से लेकर मानक के अनुरूप निर्माण कार्य हो रहा है या नहीं इसकी जांच की जिम्मेदारी जीडीए की हैं। लेकिन महकमे के जिम्मेदारों को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि शहर में लगे मोबाइल टावर वैध हैं या अवैध। टावरों को लेकर कमिश्नर के गंभीर होने पर उम्मीद जगी थी कि विभाग कुछ हरकत में आयेगा और स्वास्थ्य के लिए खतरा बने इन मोबाइल टावरों के खिलाफ कार्रवाई होगी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बीते दिनों में जीडीए में आयोजित विशेष अदालत में कमिश्नर ने कई बार शहर के सभी मोबाइल टावरों का सर्वे कर यह पता लगाने का निर्देश दिया जाता है। इनमें से कितने टावर अवैध हैं। कमिश्नर के इस निर्देश पर भी जिम्मेदारों की सुस्ती नहीं टूटी। हालांकि उनका कहना है कि सर्वे का कार्य चल रहा है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक अभी तक किसी भी मोबाइल टावर का सर्वे नहीं हुआ।
 
मोबाइल टावरों को लेकर पूर्व के कमिश्नर के रविन्द्र नायक की सख्ती पर महकमें ने मार्च 2012 में सर्वे कराया था। इस दौरान अफसरों को शहरों में 302 मोबाइल टावर लगे मिले थे। इन टावरों का नक्शा पास है या नहीं यह जानने के लिए जिनके मकान व जमींन पर ये टावर लगे मिले, उन्हें जीडीए के पीठासीन अधिकारी की तरफ से नोटिस भेजा गया। सेल्युलर कंपनियों ने इनमें से अब तक करीब 90 मोबाइल टावरों के बारे में ही अपने जबाब मुहैया कराए। जिन टावरों के सन्दर्भ में जबाब मिले हैं इनमें से ज्यादातर बीएसएनएल के हैं। बाकी मोबाइल टावरों के संबंध में जबाब का विभाग को अभी भी इंतजार है। बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर नोटिस तो सेल्युलर कंपनियों तक पहुंचे ही नहीं।
 
वहीं शहर में लगे अवैध मोबाइल टावरों के खिलाफ कार्रवाई न होने को लेकर जीडीए के कुछ अफसर और ही वजह बता रहे हैं। उनका कहना है कि जीडीए में अवैध निर्माण पर रोक लगाने का काम देख रहे अफसरों का कहना है कि बीएसएनएल के एक शासनादेश में 2008 से पूर्व बने ऐसे टावर जिनका नक्शा नहीं पास है उनसे पांच हजार रूपये का जुर्माना लेकर उनका नक्शा पास करने का निर्देश जारी किया गया था। कुछ समय बाद इसे बढ़ाकर एक लाख रूपये कर दिया गया। इसे लेकर कुछ सेल्युलर कंपनियां कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट से इस संबंध में अभी तक कोई आदेश नहीं सुनाया गया। जिसकी वजह से कार्रवाई नहीं हो सकी।
 
52 टावर घनी आबादी में 
बीते करीब पांच साल के भीतर शहर में झाड़ की तरह मोबाइल टावर उगे। इनमें से कई तो घनी आबादी और स्कूल व अस्पतालों के आस-पास स्थित हैं। जीडीए द्वारा वर्ष 2012 में कराये गये सर्वे के अनुसार करीब 52 मोबाइल टावर ऐसे हैं जो धनी आबादी में लगे हैं। हालांकि इनकी वास्तविक संख्या और बताई जा रही है।
पुराने घरों पर भी लग गए टावर
जीडीए के जिम्मेदारों की सुस्ती की वजह से शहर के तमाम ऐसे मकानों की छतों पर मोबाइल टावर लग गये जो काफी पुराने व कमजोर हो गये हैं। इन मकानों के छतों की जांच किये बगैर इन पर मोबाइल टावर लगा दिये गये।
इन मकानों की मजबूती जांचना न तो सेल्युलर कंपनियों ने ही जरूरी समझा और न ही जीडीए ने। 
धर्मशाला, रेती रोड, उर्दू बाजार, जाफरा बाजार, बक्शीपुर समेत कई मोहल्लों में ऐसे पुराने घरों की छतों पर मोबाइल टावर खड़े आसानी से देखे जा सकते हैं।
स्कूल अस्पताल के पास है मनाही
स्कूल और अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में मोबाइल टावर नहीं लगाये जा सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि इन टावरों से निकलने वाले रेडियेशन बच्चों व मरीजों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी तरह आवासीय इलाकों में भी मोबाइल टावर नहीं लगाने का प्राविधान हैं। टावर लगाने के लिए सबसे पहली प्राथमिकता जंगल बताई गयी है। यदि ऐसा संभव नहीं है तो खुले स्थान मसलन पार्क आदि में इसे लगाया जा सकता है जो आमजन के लिए तय स्थान है।
ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन कैंसर का खतरा 
मेडिकल कालेज के न्यूरोलाजिस्ट व प्रख्यात चिकित्सक डा0 एके ठक्कर का कहना है कि इन मोबाइलों टावरों से निकलने वाले रेडियेशन से ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन कैंसर होने का खतरा होता है। यही नहीं मोबाइल से निकलने वाले रेडियेशन भी खतरनाक है। मोबाइल से ज्यादा समय तक बात करने से सुनने की क्षमता कम हो जाती है। 
सील किए जाएंगे अवैध टावर
शहर में चल रहे अवैध मोबाइल टावरो के बारे में पूछे जाने पर जीडीए के सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि कौन से मोबाइल टावर अवैध है, अभी यह, बता पाना मुश्किल है। जांच के लिए पूर्व में सभी को नोटिस भेजा गया था। कुछ के जबाब मिले हैं। ज्यादातर ने अभी जवाब नहीं दिया। उन्हें अगस्त तक की मोहलत दी गई है। इसके बाद भी जवाब नहीं मिला तो एक पक्षीय सुनवाई करते हुए, संबंधित टावर को अवैध मानकर उनके खिलाफ सील बंद करने या ध्वस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। कमिश्नर के निर्देश पर भी सर्वे किया जा रहा है, जल्द ही इसकी भी रिपोर्ट आ जाएगी।
 
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