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गृह मंत्री होकर भी कभी मर्यादा नहीं तोड़ता-राजनाथ
By Deshwani | Publish Date: 9/12/2017 6:15:12 PM
गृह मंत्री होकर भी कभी मर्यादा नहीं तोड़ता-राजनाथ

 लखनऊ,  (हि.स.) (अपडेट)। मैं भारत का गृह मंत्री होकर भी मयार्दाओं को कभी नहीं तोड़ता। आप लोग भी कभी मर्यादाओं को मत तोड़ना। मर्यादाओं का पालन, प्रिय ही नहीं पूज्य बनाता है और ये सोच शिक्षा से आती है। शिक्षा चरित्र का निर्माण करती है। राम की तुलना में कहीं अधिक धनवान, बलवान और ज्ञानवान होने के बावजूद रावण का विनाश इसलिए हुआ क्योंकि उसका चारित्रिक पतन हो गया था। इसीलिए आज रावण नहीं राम की पूजा होती है। 

यह बात केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां लखनऊ विश्वविद्यालय के 60वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। इस मौके पर उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से डी.एस.सी. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। 

राजनाथ ने कहा कि मुझे मानद उपाधि दी गई, मैंने आग्रह किया था कि मुझे ये उपाधि ना दी जाए मैं इस योग्य नहीं। मुझे मानद उपाधि देने का आदेश राज्यपाल का था इसलिए इनकार नहीं कर सका। इस मौके पर उन्होंने डिग्री और मेडल हासिल करने वाले मेधावाधियों को बधाई भी दी। 

खुद को राजनीतिक व्यवस्था से अलग नहीं रखें युवा

गृह मंत्री ने छात्रों से कहा कि उत्कृष्ट बनने की कोशिश करो उसके लिए आपको जीवन भर काम करना पड़ेगा। स्वतंत्रता के बाद राजनीति ने अपने अर्थ और भाव को खोया है। नेताओं की कथनी और करनी में अन्तर के कारण लोगों का भरोसा उठ गया। इसी भरोसे को युवकों और हम सबको मिलकर फिर से जीतना होगा। समाज और देश के लिए राजनीति होनी चाहिए। युवाओं को खुद को राजनीतिक व्यवस्था से अलग नहीं रखना चाहिए। 

भारत के साहित्य और संस्कृति में ज्ञान का भण्डार छिपा 

उन्हांने कहा कि संकल्प के बल पर जीवन में कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने युवा शक्ति का आहवान किया कि वह व्यवस्था के प्रति अनास्था न उत्पन्न होने दें। व्यवस्था के प्रति अनास्था की समाज को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। राजनाथ ने कहा कि भारत के साहित्य और संस्कृति में ज्ञान का भण्डार छिपा है। इसका उपयोग वर्तमान संदर्भों में सफलतापूर्वक किया जा सकता है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्वानों से आग्रह किया कि वे भारतीय ज्ञान पर शोध कर उसे दुनिया के समक्ष लाएं।

स्वामी विवेकानंद भारत के फर्स्ट ग्लोबल यूथ 

गृह मंत्री ने कहा कि माता, पिता और गुरु से हमको संस्कार मिलते हैं। हम सभी को जीवन के हर मोड़ पर अपने माता-पिता के साथ गुरुओं का उल्लेख करना चाहिए। ज्ञान ही पर्याप्त नहीं संस्कार भी बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि हमें जीवन में हर पल गुरुओं के महत्व को समझना चाहिए। मनुष्य के जीवन में गुरु का बड़ा महत्व होता है। उन्होंने कहा कि जिसने किसी भी प्रकार की शिक्षा-दीक्षा दी है, वह गुरु है, उसका सम्मान करना बहुत जरूरी है। ये दीक्षांत समारोह है न कि शिक्षांत समारोह, इसलिए शिक्षा अनवरत चलती रहेगा, जो चरित्र का निर्माण करेगी। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारत के फर्स्ट ग्लोबल यूथ है। उनके सपनों का भारत बनाने और भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए आज के यूथ को संकल्प लेना होगा।

अपने शिक्षक मौलवी साहब को किया याद 

गृह मंत्री ने कहा कि जब मैं प्राइमरी में पढ़ता था तो एक मौलवी साहब शारीरिक शिक्षा के शिक्षक थे। कोई भी छात्र पीटी के दौरान अगर अनुशासनहीनता करता तो मौलवी साहब कभी थप्पड़ लगाते और कभी एक पतली सी छड़ी से टांगो पर पीटते थे। इससे छात्र मौलवी साहब की छड़ी खाकर सही पीटी करने लगते थे।

राजनाथ ने कहा कि वर्षों बाद शिक्षा मंत्री बनने के बाद एक बार मैं चंदौली से गुजर रहा था, तो देखा कि एक नब्बे वर्षीय बुजुर्ग सड़क किनारे फूलों की माला लिये खड़े थे। मैने उन्हें पहचान लिया कि वह मौलवी साहब थे। मैंने तुरन्त अपनी गाड़ी रूकवायी और उस माला को मौलवी साहब के गले में डाल दिया। इसके बाद मैने उनके पैर छू कर आशीर्वाद लिया, तो मौलवी साहब की आंखों से आंसू छलक आए और मैं भी भावुक हो गया। राजनाथ ने छात्रों से कहा कि आज आपको यह बात बताने का उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि आप चाहे जितने ऊंचे पद पर पहुंच जांए लेकिन अपने शिक्षको को कभी न भूलें। उनका सम्मान करना, उन्हें प्यार देना, क्योंकि उन्होंने अपना ज्ञान आपको दिया जिसकी बदौलत आज आप इस मुकाम पर पहुंचे हो। उन्होंने कहा कि भविष्य में होने वाले दीक्षांत समारोह में माता पिता की तरह गुरओं का भी जिक्र होना चाहिए।

भारत को विश्व गुरू बनाने का लें संकल्प

राजनाथ ने कहा कि व्यक्ति का कद उसके पद से नहीं कृतियों से बड़ा होता है। कद को ऊंचा करने के साथ ही हमको नया मुकाम देने में गुरु की बड़ी भूमिका होती है। मनुष्य के लिए ज्ञान ही पर्याप्त नहीं संस्कार भी बहुत अहम हैं। भारत के चरित्र की गाथा दुनिया के कोने कोने तक फैली है। केन्द्रीय गह मंत्री ने कहा, संकल्प लेकर हम भारत को विश्व गुरू बनायेंगे। भारत के पास बहुत कुछ है, गुरूत्वाकर्षण का नियम, पाइथागोरस थ्योरम भारत की देन है। कई ऐसी चीजे हैं जो भारत ने दी हैं। बस हम सबको संकल्प लेने की आवश्यकता है कि भारत को विश्व गुरू बनायेंगे, फिर भारत को विश्व गुरू बनने से कोई रोक नहीं सकता। भारत को विश्व गुरू बनाने में युवाओं का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होगा। 

उन्होंने टामस फ्रीजमैन के गार्जियन में छपे एक लेख इन्फोसिस बनाम अलकायदा का उदाहरण देते हुये कहा कि दोनों में युवा जी जान से मेहनत से काम करते हैं लेकिन एक युवा देश के विकास के लिये काम करते हैं जबकि अलकायदा के युवा विध्वसंकारी कामों के लिये काम करते हैं।

 

 

दीक्षांत समारोह के बाद शुरू होती है जीवन की लड़ाई

दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल और कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्पर्धा बढ़ने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की आवश्यकता है। नई खोजों पर बल देते हुए नाईक ने कहा कि इससे शिक्षा का लाभ समाज को मिलेगा। 

उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह के बाद जीवन की लड़ाई शुरू होती है। भारतीय वेश में दीक्षान्त समारोह हो रहे हैं, अच्छा लग रहा है, गिरने वाले गाउन और हैट नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मैंने छात्रों के लिए समय से दीक्षान्त समारोह कराने का निर्देश दिया है। मैंने सभी यूनिवर्सिटी के दीक्षोपदेश एक बनाने के लिए कमेटी का गठन किया है। 

राज्यपाल ने कहा कि हिम्मत नहीं हारते हुए काम करते रहें तो सफलता क़दम चूमेंगी। उन्होंने कहा कि आज आयोजित हो रहे दीक्षांत समारोह में पदक पाने वालों में छात्राओं की संख्या अधिक है। 191 में 32 पदक छात्रों को 159 पदक छात्राओं को मिले हैं। ये आंकड़े महिला सशक्तिकरण का उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग होती रही है, लेकिन यहां के आंकड़े बताते हैं स्वतंत्र रूप से महिलाएं कितनी सफलता पा रही हैं। 

रोजगारपरक होनी चाहिए शिक्षा

इससे पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि आज शिक्षा के व्यवसायीकरण की आवश्यकता है। उन्हांने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्रों को रोजगार मिलना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में गुरु का स्थान देवता तुल्य है। लखनऊ विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह वाकई में अपने आप में बेहद अलग होता है। यहां से शिक्षा के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करने वाले छात्रों के साथ ही क्रिकेटर सुरेश रैना व आरपी सिंह भी निकले हैं। उन्होंने डिग्री पाने वाले छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं भी दी।

छात्राओं ने एक बार फिर मारी बाजी

दीक्षांत समारोह के मौके पर मेहंदी अग्रवाल और अंजली सिंह सहित 192 छात्र छात्राओं को डिग्रियों और पदकों से सम्मानित किया गया। इनमें 32 छात्र और 159 छात्राएं रहीं। यानि पदक पाने वाली छात्राओं का प्रतिशत 83 रहा। पदकों से सम्मानित छात्र-छात्राएं गर्व से फूले नहीं समा रहे थे। खासतौर से छात्राएं तो बेहद उत्साहित थीं। ऐसी ही एमए की एक छात्रा गुलशन जहां ने छह मेडल हासिल किये। गुलशन शिक्षक बनकर समाज को शिक्षित करना चाहती है। गुलशन के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उसके पिता मो. इस्लाम की बर्तन की छोटी सी दुकान है, जिसमें बड़ा भाई हाथ बंटाता है, जबकि अन्य दो भाई प्राइवेट नौकरी करके किसी तरह भरण पोषण करते हैं। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से भाई तो ठीक तरह से नहीं पढ़ सके, लेकिन गुलशन ने परिवार में शिक्षा का ऐसा उजाला फैलाया है कि आज सभी को उस पर नाज हो रहा है। 

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