भिण्ड, (हि.स.)। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप किसानों की खेती को फायदे का धंधा बनाने की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा कृषि विभाग के माध्यम से अनुकरणीय पहल की जा रही है। जिसके अन्तर्गत जिले की तहसील मौ के ग्राम किटी के निवासी शिशुपाल राजपूत ने क्षेत्र में पीला सोना कहने वाली सरसो की फसल की बोनी कर उनके खेतो में सरसो की फसल लहलहा रही है। जिसे देखकर किसान पूरे परिवार सहित प्रफुल्लित हो रहा है।
राज्य शासन के किसान कल्याण विभाग और कृषि वैज्ञानिको की प्रेरणा से मौ तहसील के किटी निवासी शिशुपाल राजपूत ने कम पानी में पैदा होने वाली पीला सोना बोनी की दिशा में सरसो की उन्नत किस्म की बोनी क्षेत्रीय कृषि अधिकारी/कर्मचारियों की प्रेरणा से की। साथ ही उनके द्वारा निजी बोर से पलेवा कर शासन द्वारा प्रदान की जा रही खाद का उपयोग किया। किसान राजपूत ने अपनी 10 वीघा जमीन में पलेवा के बाद सरसो की फसल बोई है। यह फसल उनके खेतो में लहलहा रही है। किसान शिशुपाल सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार से चर्चा करते हुए बताया कि प्रति वर्ष सरसो की खेती से फायदे का धंधा प्राप्त कर रहा हूँ।
म.प्र.सरकार द्वारा किसानों के हित में संचालित की जा रही किसान हितेषी योजनाओं का लाभ लेकर और क्षेत्र के किसानों को लाभ की दिशा में आगे बढाने का प्रयास किया जा रहा है। क्षेत्रीय किसान भी अपनी खेती को फायदे का धंधा बनाने में कामयाब हो रहे है। साथ ही उनके द्वारा भी सरसो व गेहूं की फसल की बोनी की है। संपूर्ण किटी निवासी किसान पीला सोना की कहावत को निरंतर चरितार्थ कर रहे है और प्रतिवर्ष अपनी आय में इजाफा कर तरक्की की रफ्तार पकड रहे है।
किटी के किसान शिशुपाल सिंह राजपूत ने कहा कि किटी गांव के अलावा जारेट, अधियारी खुर्द, रूपावई, खेरिया, अधियारी कला और मेहदवी पुरा के किसानों ने पीला सोना मानी जाने वाली फसल सरसो की बोनी की है। किटी मौजे एवं आसपास के करीबन 100 किसानों ने मेरी सरसो की भांति अपनी भूमि में बोनी की है। उनकी भी फसल लहलहा रही है। किसान ने बताया कि मेरी 10 वीघा जमीन में सरसो की फसल कटने पर 6 मन के बीघा से पैदावार ली जावेगी। जिसका उत्तम भाव करीबन तीन हजार रूपए प्रति क्विंटल से अधिक प्राप्त होगा। मावट गिर जाने से सरसो फसल के खेत में काफी नमी है। अगर एक ओर मावट होती है तो दूसरे पानी देने की आवश्यकता नहीं होगी।
मौ तहसील के किटी निवासी किसान राजपूत ने बताया कि इस सरसो की फसल पैदावार आने पर आर्थिक तरक्की के मार्ग प्रशस्त्र होंगे। साथ ही बच्चों की परिवरिश की दिशा में आसानी होगी। इस पीला सोना की कहावत को क्षेत्र में चरिनार्थ करने की दिशा में प्रति वर्ष धन की कमी नहीं रह रही है। जिसका श्रेय म.प्र.सरकार, जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अमले को जाता है। इसके कारण ही मैं अपनी खेती को फायदे का धंधा बनाने में सक्षम महसूस कर रहा हूँ।