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प्रदेश का पहला रंगीन मछली उत्पादन केंद्र खरगौन में
By Deshwani | Publish Date: 3/12/2017 11:46:27 AM
प्रदेश का पहला रंगीन मछली उत्पादन केंद्र खरगौन में

 खरगौन, (हि.स.)। घर को सुंदर बनाने में गृहणियों की पहली पसंद फिश एक्वेरियम ही होता है। यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि फिश एक्वेरियम की रंगीन मछलियों के बीज भी फार्म में ही उत्पन्न होते हैं। रंगीन मछलियां भी बनाई जा सकती हैं। ऐसी ही करीब 30 प्रकार की रंगीन मछलियों की प्रजाति का उत्पादन केंद्र सरफराज खान ने मत्स्य विभाग के सहयोग से खरगोन के प्रेमनगर में वर्ष 2009 में प्रारंभ किया। 

सरफराज खान के मछली पालन के शौक को पूरा करने का संघर्ष भी उतना ही रोचक है। वे स्कूल से सीधे खरगौन की ओंडल नदी पर सिर्फ मछलियों को दाना खिलाने जाया करते थे। कुछ समय के बाद खराब आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने खिड़की दरवाजे और जालियों की पुताई करने का काम 1500 रुपये में कर लिया। 4-5 साल तक पुताई करने के बाद एलर्जी के कारण डॉक्टर के कहने पर पुताई का काम बंद करना पड़ा। तब सरफराज खान ने ठेला लेकर शहर के फुटपाथ पर मात्र 550 रूपए से 07 फिश पॉट से अपना रंगीन मछली फार्म का सपना पुरा करने का पहला कदम रखा।
 
वर्ष 2009 में उनको मत्स्य विभाग खरगौन की मत्स्य कृषक विकास अभिकरण योजना के द्वारा 8 लाख का लोन व 90 हजार का अनुदान स्वीकृत हुआ तो रंगीन मछलियों का बीज उत्पादन केंद्र बना लिया। उन्होंने खरगौन शहर के पास के गांव प्रेमनगर में एक एकड़ जमीन खरीदी और फार्म तैयार किया। इसके लिए उन्होने कुआं भी खुदवायां और ट्यूबवेल पंप की व्यवस्था भी की। इसके बाद उन्हें विभाग द्वारा भुवनेश्वर की केंद्रीय फ्रेशवॉटर एक्वॉकल्चर संस्थान, मरीन प्रोडॅक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी के कोच्ची केंद्र और नई दिल्ली में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। 
 
इसके बाद सरफराज ने वो कर दिखाया जो प्रदेश में पहला उभरता रंगीन मछली बीज उत्पादन केंद्र बना गया। वर्तमान में पुरे मध्यप्रदेश में केवल दो रंगीन मछली बीज उत्पादन के केंद्र है। उनमें से एक के मालिक सरफराज खान है जो प्रदेश में पहला है। कुछ वर्ष पहले प्रदेश में इस तरह के 11 बीज उत्पादन केंद्र हुआ करते थे, लेकिन वास्तविक रूप से आज दो ही बचे है। इसके अलावा सरफराज खान प्रदेश में 7 फेंचाइजी के सहयोगी है और खरगोन में इनका सुंदर सा फिश हॉउस भी है। अब सरफराज खान प्रदेश में कार्यरत दो रंगीन मछली बीज उत्पादन केंद्र में एक के मालिक है।
 
प्रेमनगर में इनके फार्म पर आज गोल्ड फीश, एंजल, चिचलेट, मौली, गप्टी और कार्प, कामन मार्प सहित प्लेटी प्रजाति की कई प्रकार की मछलियां है। इनकी एक-एक प्रजाति में 100-100 प्रकार की मछलियां होती है। उनको इस बात की ज्यादा खुशी है कि एक समय वो ओंडल नदी में मौली और गप्टी को दाना खिलाते थे। आज वो बैंकाक की कार्प, ब्रुडल और एंजल तथा एक दर्जन से अधिक रंगीन मछलियों को दाना देते है। सरफराज खान के फार्म की मछलियां अब मुंबई, चेन्नई और कोलकाता के बाजार में जाती हैं। वे शुद्ध रूप से प्रतिमाह 40 से 50 हजार की कमाई के साथ 05 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।
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