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बीएचयू के इतिहास में ऐसी विदाई किसी वीसी को नहीं मिली
By Deshwani | Publish Date: 28/11/2017 11:38:42 AM
बीएचयू के इतिहास में ऐसी विदाई किसी वीसी को नहीं मिली

वाराणसी, (हि.स.)। अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न मुद्दों को लेकर विवादों में रहे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी का विदाई समारोह भी कई मायनों में बेहद यादगार रहा। इस दौरान जहां कुछ छात्रों ने काले लिबास में आकर कार्यक्रम का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की तो बड़ी संख्या में छात्रों ने इसका विरोध करते हुए कुलपति का समर्थन किया। वहीं प्रो. त्रिपाठी ने भी खुलकर छात्रों के बीच अपनी बातें रखीं। 
विदाई समारोह की शुरूआत में उडुप्पा सभागार में बीएचयू मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर जयप्रकाश ने कहा कि बीएचयू के बीते 30 सालों के इतिहास में किसी कुलपति के समर्थन में छात्रों-शिक्षकों-कर्मचारियों का ऐसा सैलाब नहीं उमड़ा जैसा सैलाब प्रो. त्रिपाठी के कार्यकाल के आखिरी दिन दिखाई पड़ा। प्रोफेसर जयप्रकाश ने जैसे ही यह बातें कहीं पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। बारी बारी से प्रोफेसरों ने अपने कुलपति को भावपूर्ण शब्दों में प्रशस्ति दी।
इस मौके पर प्रो. साकेत कुशवाहा ने प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी को निर्भीक वाइस चांसलर बताया और कहा कि उन्होंने सिद्धांतां से समझौता नहीं किया। उन्होंने बीएचयू के अतीत को याद करते हुए कहा कि अधिकतर वाइस चांसलरों की विदाई वीसी आवास से ही कर दी जाती थी, यह अरसे बाद है कि किसी वीसी को विदाई देने इतनी बड़ी तादाद में छात्र-शिक्षक और कर्मचारी उमड़ पड़े। आज यहां हर कोई चाहता है कि काश उन्हें सरकार ने नया कार्यकाल दे दिया होता तो तस्वीर ही कुछ और होती।
मंच से प्रो. के.के. सिंह ने कहा कि प्रो. त्रिपाठी ने पूरी निष्ठा से बीएचयू की सेवा की, उनका जीवन करनी और कथनी में समानता का उदाहरण है। उन्होंने हर किसी को आत्मीयता दी, बाहर से वह सख्त दिखे लेकिन भीतर से अत्यंत करुणावान उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत बन गया। प्रो. कविता शाह ने कहा कि उन्होंने बीएचयू को परिवार माना और परिसर के शैक्षणिक माहौल को नई ऊंचाई दी, उनके प्रयत्नों से बीएचयू देश में सर्वश्रेष्ठ तीन विश्वविद्यालयों में गिना जाने लगा। चीफ प्रॉक्टर प्रो. रॉएना सिंह भी भावुक दिखीं, उन्होंने पुष्पगुच्छ से कुलपति का स्वागत किया। प्रो. चितरंजन ज्योतिषी ने कविता पढ़कर प्रो. त्रिपाठी का प्रशस्ति गान किया। प्रो. ज्योतिषी ने कहा कि कई दशकों के बाद बीएचयू को महामना की परम्परा का उत्तराधिकारी मिला था, उनको पाकर बीएचयू की बगिया खिल उठी। दर्जनों प्रोफेसरों ने मंच पर आकर प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी के कार्यकाल को उनके तीन साल के कार्यकाल के आखिरी दिन ऐतिहासिक करार दिया।
पूर्व चीफ प्रॉक्टर ओएन सिंह भी सभागार में भावुक दिखे। उन्होंने कहा कि वाइस चांसलर ने पूरे तीन वर्ष के कार्यकाल में किसी छात्र के खिलाफ कभी सख्त कार्रवाई के लिए नहीं कहा, जो छात्र अनुशासन की हद लांघते रहे उन्हें भी उन्होंने प्यार और परिवार भाव के साथ ही मनाने का सुझाव रखा।
प्रो. मधु द्विवेदी ने कहा कि उन्होंने पूरे कार्यकाल में किसी कर्मचारी या अध्यापक के विरुद्ध कोई सख्त कार्रवाई की अनुशंसा तक नहीं की, वह सभी को प्रेमपूर्ण व्यवहार देते रहे। आपसी संवाद और प्रेमपूर्ण व्यवहार से ही उन्होंने विश्वविद्यालय के माहौल को 34 महीने तक निरंतर शांत बनाए रखा। उनके कार्यकाल के आखिर में जो हुआ, वह एक साजिश थी, जिसे अब सारा परिसर जान और मान रहा है।
 
बाहर और भीतर खचाखच भरे उडुप्पा सभागार में अपने स्वागत से अभिभूत भावुक मन से जब प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी बोलने के लिए खड़े हुए तो उनकी आंखें छलक आईं। उन्होंने कहा कि मेरा स्वभाव वैसे भी भावुक है और इस माहौल में आप सभी ने मुझे आखिरी दिन जिस तरह का स्वागत और सत्कार दिया है, उसके लिए मेरे मन में कृतज्ञता का भाव भर आता है। मैंने पूरे मनोयोग से महामना की विरासत को अहर्निश परिश्रम कर आगे बढ़ाया, केंद्र के सहयोग से अनेक नए संस्थान और शैक्षिक प्रयोग परिसर में शुरु किए, आने वाले वर्षों में बीएचयू देश का पहला सौर ऊर्जा संचालित परिसर होगा।
वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने छात्रों-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जो अच्छा हुआ वह सब आपके सहयोग की बदौलत हुआ और अब विश्वविद्यालय को आगे भी संभाले रखना आप सभी की जिम्मेदारी है। मैं महामना की बगिया आपके हाथों में सौंप रहा हूं, इसे मैंने खून-पसीना लगाकर सींचा, इसके राष्ट्रीय चरित्र को मजबूत बनाया, केरल, ओड़िशा, तमिलनाडु, कर्नाटक, बंगाल से लेकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब और गुजरात के योग्य शिक्षकों की नियुक्ति कर परिसर के शैक्षिक माहौल को देश में उत्कृष्टतम स्तर पर ले गया तो ये सब कुछ सभी के सहयोग से संभव हो सका। 
वाइस चांसलर ने कहा कि देश में 84 फीसद शैक्षिक पदों को भर पाने वाला बीएचयू देश का इकलौता विश्वविद्यालय है जिसमें शिक्षकों की पूरी चयन प्रक्रिया पर कोई सवालिया निशान नहीं लगा सकता। हर नियुक्ति केवल योग्यता के पैमाने पर हुई, बीएचयू के संस्थापक की भावना के अनुरूप हुई। उन्होंने कहा कि उन्हें बीएचयू के बेहतरीन भविष्य की उम्मीद है कि यहां के शिक्षक मिलकर इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
कुलपति ने केंद्र सरकार का विशेष धन्यवाद जताया जिसमें प्रधानमंत्री ने बीएचयू को नया कैंसर अस्पताल और रिसर्च सेंटर दिया। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि कैंसर रिसर्च सेंटर प्रधानमंत्री ने बीएचयू को सौंपकर महान कार्य किया, यह सेंटर बीएचयू का हिस्सा बनकर काम करेगा, यह इसकी अनोखी बात है। इससे पहले चार छात्रों ने काले लिबास में आकर माहौल को बिगाड़ना चाहा तो करीब सौ से भी ज्यादा छात्रों ने उन्हें खदेड़ लिया।
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