भोपाल, (हि.स.)। मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल(व्यापमं) की मेडिकल प्रवेश परीक्षा 2012 में महाघोटाले को अंजाम देने वाले आरोपियों को लेकर सीबीआई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी के तहत गुुरुवार देर रात करीब 2.36 बजे तक एक विशेष अदालत लगाई गई। इस अदालत में 592 के खिलाफ एक और चार्जशीट दाखिल की गई, तो सैकड़ों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
गुरुवार को व्यापमं महाघोटाले के आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने विशेष अदालत लगाई। जिसमें 592 आरोपियों के खिलाफ एक और चार्जशीट दाखिल की गई। इनमें व्यापमं के पूर्व अधिकारियों समेत निजी मेडिकल कॉलेजों के चेयरमैन भी शामिल हैं।
विशेष अदालत बनी इतिहास
मध्यप्रदेश के व्यापमं महाघोटाले में सीबीआई की यह विशेष अदालत इतिहास में दर्ज हो गई। दरअसल व्यापमं महाघोटाले पर सुबह 10.30 बजे से शुरू हुई अदालती कार्रवाई देर रात में 2.30 बजे तक चली।
इस दौरान अदालत ने चिरायु मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर अजय गोयनका, पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन एसएन विजयवर्गीय सहित 30 आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज कर दी। गौरतलब है कि मामले में सीबीआई ने जुलाई 2015 में केस पंजीबद्ध किया था।
सॉल्वर और परीक्षार्थी बैठते थे एक साथ ताकि आसानी से हो नकल
सीबीआई की जांच में पाया गया कि पीएमटी 2012 में गिरोह सक्रिय था। इस गिरोह ने निजी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) से साठगांठ कर अयोग्य लोगों को मेडिकल में प्रवेश दिलवाया।
ये गिरोह कुछ लोगों के साथ मिलकर सॉल्वर की व्यवस्था करा रहे हैं और इसका फायदा छात्र उठा रहे हैं। सॉल्वर व फायदा लेने छात्रों का गठजोड़ था। व्यापमं के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर सॉल्वर और परीक्षार्थियों की परीक्षा रूम में बैठने की व्यवस्था साथ-साथ की जाती थी, ताकि वे आसानी से नकल कर सकें।
काउंसलिंग में भरी हुई दिखती थी सीट
सीबीआई ने जांच में पाया कि इस मामले में डीएमई और निजी मेडिकल कॉलेजों की मिलीभगत रही। 10 जून 2012 को पीएमटी की जो परीक्षा हुई थी, उसमें काउंसलिंग के दौरान बिचौलियों ने सॉल्वर्स को चार निजी मेडिकल कॉलेजों में ही प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया। निजी कॉलेज में सीट आवंटित कराने के बाद सॉल्वर्स उनमें प्रवेश नहीं लेते थे, लेकिन ये सभी चार निजी कॉलेज प्रबंधन डीएमई को सीटों पर प्रवेश की झूठी सूचना देते थे। इससे राज्य के कोटे की सीटें काउंसिलिंग में भरी दिखती थीं। इससे प्रतीक्षा सूची के परीक्षार्थियों को प्रवेश नहीं मिलता था। बदले में बिचौलिए उन सॉल्वर्स को पैसे देते थे, जिनके द्वारा निजी मेडिकल कॉलेज की सीट खाली की जाती थी।
बिना किसी प्रक्रिया के दिए एडमिशन
सॉल्वर्स की खाली सीटें 28 से 30 सितंबर 2012 को इन चारों मेडिकल कॉलेजों ने पूरी प्रक्रिया फॉलो किए बिना ही भर दीं। इस प्रवेश में इन मेडिकल कॉलेजों में उन लोगों को एडमिशन दे दिया, जिन्होंने पीएमटी दी ही नहीं थी।
इनकी जमानत याचिका खारिज
व्यापमं विशेष अदालत में अग्रिम जमानत याचिका लेकर पहुंचे थे। रात 11.50 बजे से इन जमानत याचिकाओं पर एक-एक कर सुनवाई की गई। अंत में 2.36 बजे तक सभी की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गईं। जबकि कोर्ट में नहीं पहुंचने वालों के खिलाफ चालान पेश कर दिया।
* डीके सत्पथी
* अजय गोयनका
* एसएन विजयवर्गीय
* अबरीश शर्मा
* एनएम श्रीवास्तव
* डॉ. अशोक नागनाथ राव
* डॉ. विजय कुमार पंड्या
* एससी तिवारी
* डॉ. रवि सक्सेना
* रचना श्रीवास्तव
* सुरेश सिंह भदौरिया
* अरुण अरोड़ा
* पवन भम्मानी
* निति गोठवाला
* जगत बहादुर
* चेतना कुशवाहा
* कृष्ण देव ओझा
* सचिव यादव
* पीयूष जायसवाल
* नुसरत खान
* विनोद वर्मा
* जयकृत सिंह
* अशोक कुमार तथा अन्य 3 भी शामिल।
भौतिक सत्यापन तक नहीं
डीएमई की ओर से कभी भी इन चार निजी कॉलेजों में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए एडमिशन का भौतिक परीक्षण नहीं किया गया। कॉलेजों द्वारा दी जा रही गलत जानकारी की पुष्टि भी नहीं की गई। उल्टा इस गलत तरीके से प्रवेश पाने वाले छात्रों का यूनिवर्सिटी में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय द्वारा नामांकन भी करा दिया गया।
ये हैं आरोपी
* व्यापमं के चार पूर्व अधिकारी।
* चिकित्सा शिक्षा विभाग के दो पूर्व अधिकारी जिनमें एक पूर्व संचालक भी शामिल है।
* तीन साजिशकर्ता।
* 22 बिचौलिए शामिल।
* 26 आरोपियों में चार निजी मेडिकल कॉलेज के चेयरमेन और अधिकारी हैं।
* 334 सॉल्वर्स और जिन्हें गिरोह से फायदा हुआ वे भी।
* 155 फायदा लेने वाले उम्मीदवारों के अभिभावक भी आरोपी बने।
* 46 परीक्षा पर्यवेक्षक।