लखनऊ, (हि.स.)। एलोवेरा की खेती से स्वास्थ्य के साथ किसानों के लिए अच्छे मुनाफा का जरिया बन सकता है। इसमें बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं। इसलिए इसका उपयोग आयुर्वेद में बड़े पैमाने से होता आ रहा है। वर्तमान समय में कई कंपनियाँ इसका उपयोग चिकित्सा के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधन के रूप में कर रही हैं। यह काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
इसे लेकर लोग जागरूक भी हो रहे हैं। लखनऊ के सीमैप में पिछले दिनों देशभर के युवाओं को ट्रेनिंग दी गई। इनमें एलोवेरा की खेती करने वाले बड़े किसान, इंजीनियरिंग और प्रबंधन की डिग्री पाने वाले युवा भी शामिल थे।
एलोविरा के पौधे किसी भी प्रकार की उपजाऊ अनुपजाऊ मिट्टी में आसानी से उग जाते हैं। बस आपको एक बात का ध्यान रखना है की पौधा अधिक जल भराव और पाला पड़ने वाली जगह पर नहीं लगाना चाहिए। सबसे पहले खेत की 2 बार अच्छे से जुताई कर उसमें प्रति हेक्टेयर 10 से 20 टन के बीच में अच्छी पकी हुई गोबर की खाद डालें, साथ में 120 किलोग्राम यूरिया, 150किलोग्राम फास्फोरस, 30किलोग्राम पोटाश इनको खेत में समान रूप छिड़काव कर दें। फिर एक बार हलकी जुताई कराके पाटा लगा कर मिट्टी को समतल बना लें। खेत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर क्यारी बना लें।
पौधों की रोपाई किसी भी समय की जा सकती है। लेकिन अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए जून-जुलाई और फरवरी से मार्च के बीच कर सकते हैं। एलोवीरा की रोपाई प्रकंदों से होती है इसलिए उनकी लम्बाई 10 से 15 सेमी के बीच होनी चाहिए। अच्छी उपज के लिए अनुशासित किस्में सिम-सितल एल 1,2,5 और 49 है। जिसमें जेल की मात्रा ज्यादा पाई जाती है।
उपयोग
हेल्थकेयर, कॉस्मेटिक और टेक्सटाइल में भी एलोवेरा का इस्तेमाल, हर्बल दवा बनाने वाली कंपनियों में होता है। सबसे ज्यादा इस्तेमाल,कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद होता है। पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, रिलायंस कई बड़ी कंपनियां हैं। जो बड़े ग्राहक,किसानों से सीधे भी पल्प और पत्तियां खरीदती हैं। कंपनियां,पल्प निकालने या सीधे प्रोडक्ट बनाने की लगा सकते हैं। प्रोसेसिंग यूनिटपल्प निकालकर बेचने से 4 से 5 गुना ज्यादा मुनाफा होता है।
केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में ट्रेनिंग देने वाले प्रमुख वैज्ञानिक सुदीप टंडन ने बताया, जिस तरह से एलोवेरा की मांग बढ़ती जा रही है। ये किसानों के लिए बहुत फायदे का सौदा है। इसकी खेती कर और इसके प्रोडक्ट बनाकर दोनों तरह से अच्छी कमाई की जा सकती है। लेकिन इसके लिए थोड़ी सवाधानियां बरतनी होंगी। किसानों को चाहिए कि वो कंपनियों से कंट्रैक्ट कर खेती करें और कोशिश करें की पत्तियों की जगह इसका पल्प बेंचे।
अगर आप एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं तो केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) कुछ-कुछ महीनों पर ट्रेनिंग करता है। इसका रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होता है और निर्धारित फीस के बाद ये ट्रेनिंग ली जा सकती है।