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अफीम से मार्फिन निकलने का कोई मापदंड नहीं
By Deshwani | Publish Date: 21/11/2017 12:59:12 PMमंदसौर, (हि.स.)। हाल ही में देश के तीन बड़े सेंटरों पर मार्फिन की मात्रा को लेकर शोध शुरू हुआ है। अफीम फसल की किस वैरायटी में निर्धारित मार्फिन की मात्रा मिल सकती है, इस पर वैज्ञानिक भी दो साल बाद जवाब दे पाएंगे। इस साल पट्टा वितरण को लेकर केंद्र सरकार को दो बार अफीम नीति में परिवर्तन करना पड़ा। अक्टूबर में जारी हुई पहली नीति में सरकार ने किसानों से 5.9 किलो प्रति हेक्टेयर के मान से मार्फिन की मांग की। इसके चलते संसदीय क्षेत्र में करीब 5 हजार किसानों की पट्टे कटने की आशंका बन गई थी। विरोध-प्रदर्शन के बाद सरकार को ताबड़तोड़ एक बार फिर नीति में परिवर्तन कर 56 की औसत से पट्टे वितरण करने का निर्णय लेना पड़ा। सरकार ने जारी संशोधित नीति में अगले साल पट्टे जारी करने के लिए फिर मार्फिन को आधार बना लिया। हालांकि पट्टे मिलने के बाद नई नीति का किसानों ने विरोध नहीं किया पर समस्या आज भी उनके साथ मार्फिन को लेकर ही बनी हुई है जिसका हल अब भी वैज्ञानिकों के पास नहीं है। मार्फिन की हाई वैरायटी ढूंढ़ने के लिए देश के तीन बड़े रिसर्च सेंटर में काम शुरू हुआ है। इसमें उदयपुर, फैजाबाद व मंदसौर शामिल है। शोध का निर्णय 11 से 14 नवंबर तक उदयपुर में हुई बैठक में लिया है। शोध अफीम की करीब 300 वैरायटियों पर होगा। इसके बाद ही कोई नई प्रजाति किसानों तक पहुंच सकेगी जिसमें हाई मार्फिन हो। उद्यानिकी महाविद्यालय में स्थित रिसर्च सेंटर पर 1978 से अफीम पर रिसर्च चल रही है। इसमें हाई मार्फिन देने वाली किस्म तैयार होगी। सांसद सुधीर गुप्ता ने बताया कि अगले साल नीति में क्या हो, इस बात को लेकर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता। यह तय है जो भी होगा किसानों के हित में ही होगा। उद्यानिकी महाविद्यालय के डाॅ जीएन पांडे ने बताया कि मार्फिन की मात्रा को लेकर शोध शुरू हुए हैं। इसका रिजल्ट दो साल में सामने आएगा। तब तक किसान अनुमोदित खाद, उर्वरक, कीटव्याधि की रोकथाम के लिए उपयोग होने वाले कीटनाशक का प्रयोग करें तथा पहले चार चीरे से एकत्र अफीम को अच्छी तरह मिक्स कर विभाग में जमा करें।