राज्य
कांता कर्दम के सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती
By Deshwani | Publish Date: 20/11/2017 1:29:08 PMमेरठ, (हि.स.)। नगर निगम के महापौर पद पर जीत हासिल करने को राजनीतिक दलों के बीच छिड़ी जंग तेज हो गई है। इस बार राजनीतिक दलों के सिंबल पर प्रत्याशी उतरने से चुनावी मुकाबला रोचक बन गया है। इस लड़ाई में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
नगर निकाय चुनावों में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच शह और मात का खेल तेज हो गया है। लंबे समय बाद सभी राजनीतिक दलों ने मेरठ महापौर पद पर अपने-अपने प्रत्याशियों को उतारा है। इस बार सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस और रालोद के प्रत्याशी चुनावी दंगल में उतरे हैं और मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।
भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी
पिछले दो कार्यकाल से नगर निगम पर भाजपा का कब्जा है। 2006 में हुए नगर निगम चुनावों में भाजपा के टिकट पर मधु गुर्जर ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इससे पहले भाजपा को महापौर के पद पर कई बार हार का सामना करना पड़ा था। 2011 में हुए चुनावों में हरिकांत अहलूवालिया के रूप में भाजपा प्रत्याशी ने महापौर पद पर जीत हासिल की। अब 2017 में फिर से भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है और कांता कर्दम के सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है। भाजपा के जनप्रतिनिधियों की फौज होने के कारण मेरठ में उन पर पार्टी प्रत्याशी को जीत दिलाने का जिम्मा है।
पिछले चुनावों में बसपा ने खुद को दूर रखा था। इस बार बसपा ने पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को टिकट दिया है तो सपा ने दीपू मनोठिया को टिकट देकर वाल्मीकि कार्ड खेला है। इसी तरह से कांग्रेस ने भी ममता सूद के रूप में वाल्मीकि प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है। रालोद ने संगीता रानी तो भाजपा ने कांता कर्दम को टिकट देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। इसके अलावा दो निर्दलीय प्रत्याशी भी महापौर पद पर ताल ठोंक रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों ने अपने वोट बैंक के साथ-साथ दूसरे दलों के वोटरों में सेंध लगाने के लिए प्रत्याशी उतारे हैं। इससे सियासी मुकाबला रोचक बना हुआ है।