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कानपुर से पकड़े गए आईएसआई एजेंटों को सात वर्ष की सजा, 15 साल बाद आया फैसला
By Deshwani | Publish Date: 19/11/2017 2:53:38 PM
कानपुर से पकड़े गए आईएसआई एजेंटों को सात वर्ष की सजा, 15 साल बाद आया फैसला

कानपुर, (हि.स.)। अनवरगंज थाना इलाके से एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीमों ने 15 साल पूर्व छापेमारी कर दो आईएसआई एजेंटों को गिरफ्तार किया था। एजेंटों पर आरोप था कि देश की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय सूचना पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) को पहुंचाई जा रही थी। दोनों को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में पेश करते हुए जेल भेज दिया गया था। मामले में एडीजे 12 द्वितीय की कोर्ट ने एजेंटों को सात साल कैद की सजा सुनाई है।

एसटीएफ और अनवरगंज पुलिस ने 2002 में संयुक्त रूप से छापा मारकर अनवरगंज क्षेत्र से बांसमंडी के जीशान अली और फतेहपुर के नाजिम अली को गिरफ्तार किया था। पकड़े गये एजेंटों द्वारा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) को देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी पहुंचाई जा रही थी। टीम को इनके पास से इसके पुख्ता सबूत के रूप में छावनी का नक्शा, सैन्य ऑपरेशन से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए थे। सैन्य संस्थान सीओडी, आर्डनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री (ओईएफ) और एचएएल के फोन नम्बर भी मिले थे। उस समय पाकिस्तान के माध्यम से दुबई से फंडिग करने का भी खुलासा हुआ था। इनके खाते में 45 हजार रुपये मिले थे।

यह मामला एडीजे 12 रवींद्र कुमार द्वितीय की कोर्ट में विचाराधीन चल रहा था। मामले में सहायक शासकीय अधिवक्ता मनोज बाजपेई ने बताया कि कोर्ट में तत्कालीन अनवरगंज थानाध्यक्ष नरेंद्र पाल सिंह, तत्कालीन एसटीएफ प्रभारी कमल यादव समेत आठ लोगों ने गवाही दी थी। सेना के अफसर अरविंद चौहान और आरके सिंह ने कोर्ट में कोड वर्ड की और अन्य दस्तावेज से जुड़ी जानकारी की पुष्टि की थी। कोर्ट में बताया कि दोनों एजेंट कोड वर्ड में बात करते थे। 

सेना की शिफ्ट बदलने को कोड वर्ड में 'शादी हो रही है' कहते थे और संदेश को 'सैंपल' कहते थे। यूनिट के लिए 'बल्ली' शब्द प्रयोग किया जाता था। दोनों सूचना देते समय इलाहाबाद छावनी को 'रेड ईगल', लखनऊ छावनी को 'सूरज' कहते थे। तोप को 'सिगरेट' कहते थे। गवाहों और सबूतों के आधार पर एडीजे 12 रवींद्र कुमार द्वितीय की कोर्ट ने एजेंटों को सात साल कैद की सजा सुनाई है। इस मामले में 15 साल बाद फैसला आया है। 

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