भोपाल, (हि.स.)। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र देश में सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए न सिर्फ महत्वपूर्ण है बल्कि यह क्षेत्र तेजी से भारतीय अर्थ-व्यवस्था के सबसे जीवंत और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। एमएसएमई प्राथमिक क्षेत्र के बाद रोजगार का सबसे बड़ा सृजक है। इसे तकनीकी रूप से और अधिक सशक्त बनाकर औद्योगिक विकास को गति दी जा सकती है। यह बात दो दिवसीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग एवं स्व-रोजगार सम्मेलन के पहले दिन की पैनल चर्चा में विशेषज्ञों द्वारा कही गई।
सम्मेलन के पहले सत्र में एमएसएमई काम्पटिटिवनेस एण्ड इण्डस्ट्री 4.0 विषय पर डॉ. रामानंद शुक्ला, संचालक जेडईडी, डॉ. आर.आर. सोंडे, एक्सीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, थर्मेक्स ग्लोबल तथा उत्तम गांगुली, फाउंडर बेंड जोइण्ट्स ने लीन मेन्यूफेक्चरिंग, 'जीरो डिफेक्ट जीरो ईफेक्ट' मॉडल तथा 'इण्डस्ट्री 4.0' तकनीक के संबंध में विस्तृत चर्चा की तथा प्रश्नों का उत्तर भी दिया।
दूसरे सत्र में वेण्डर डेवलपमेंट तथा जेम विषय पर चर्चा की गई। सत्र में अतिरिक्त सीईओ जेम सुरेश कुमार, सीनियर मेनेजर, भारत फोर्ज डिफेंस एंड एअरो स्पेस संजय सेवकोकर ने अपने विचार व्यक्त किये। सुरेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि भुगतान के सुचारू व्यवस्था के लिए प्रदेश में जेम पूल अकाउंट बनाया गया है जिसका संचालन विभिन्न बैंक जैसे एसबीआई, आईसीआईसीआई तथा बैंक ऑफ बड़ोदा द्वारा किया जा रहा है।
तीसरे सत्र में एमएसएमई के लिए नीतियों और योजनाओं पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गई। संचालक एमएसई-सीडीपी, भारत सरकार आर.के. राय, एनएसडीसी के सीनियर हेड गौरव कपूर तथा जी.एन. अग्रवाल अतिरिक्त सीईओ स्किल डेवलपमेंट उपस्थित थे।
श्री राय ने जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में हुए एनएसएसओ के सर्वे में भारत में लगभग 6.34 करोड़ सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योग हैं। उन्होंने एमएसएमई के लिए संचालित पीएमईजीपी, एस्पाईर, स्फूर्ति एसएई-सीडीपी योजनाओं की जानकारी दी। गौरव कपूर ने एनएसडीसी के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में स्किल डेवलपमेंट के विभिन्न प्रशिक्षण योजनाओं की जानकारी दी।
जी.एन. अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 2.5 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री कौशल्या योजना में लगभग दो लाख महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है।