लखनऊ, (हि.स.)। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन को फिर से संवारने का कार्य अब तक अधर में है। इस स्टेशन को संवारने के लिए कई सालों पहले चारबाग यार्ड रिमॉडलिंग का प्रोजक्ट बना था। इस प्रोजक्ट के तहत चारबाग रेलवे स्टेशन पर दो नए प्लेटफार्मों का निर्माण, वाशएबेल एप्रेन, प्लेटफार्म व शेडिंग का विस्तार और आलमबाग की तरफ सेकेंड एंट्री बनाई जाना है।
लखनऊ मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि चारबाग रेलवे स्टेशन को संवारने के लिए कई सालों पहले चारबाग यार्ड रिमॉडलिंग का प्रोजक्ट बना था। प्रोजक्ट को तत्कालीन डीआरएम एके लाहोटी के कार्यकाल में मंजूरी भी मिल गई थी। प्रोजेक्ट के लिए रेलवे बोर्ड ने करीब 75 करोड़ रुपये का बजट भी पास कर दिया थ, फिर भी यह कार्य आज तक अधर में लटका हुआ है।
दरअसल प्लेटफार्म की कमी के चलते लखनऊ पहुंचने के बाद भी ट्रेनें दो-दो घंटे तक आलमनगर और उतरेटिया आउटर पर खड़ी रहती है,लेकिन रेलवे अभी तक रिमॉडलिंग का काम शुरू नहीं करा पाया है। इसका खामियाजा रोजाना हजारों यात्रियों को उठाना पड़ रहा है। यार्ड रिमॉडलिंग होने के बाद चारबाग रेलवे स्टेशन पर दो नए प्लेटफार्मों का निर्माण, वाशएबेल एप्रेन, प्लेटफार्म व शेडिंग का विस्तार और आलमबाग की तरफ सेकेंड एंट्री बनाई जाना है। उत्तर रेलवे को बजट मिले दो साल से अधिक समय गुजर चुका लेकिन यार्ड रिमॉडलिंग के नाम पर एक पत्थर तक नहीं रखा गया। रेलवे की इस लापरवाही की वजह से रोजाना हजारों यात्री लेटलतीफी के शिकार बन रहे हैं।
अधिकारी ने बताया कि यार्ड रिमॉडलिंग के दौरान रेलवे को बढ़ा ब्लॉक लेना होगा। इसमें चार दर्जन से अधिक ट्रेनों को निरस्त करना पड़ेगा। इसलिए उत्तर रेलवे इतना बढ़ा ब्लॉक लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। हालांकि उत्तर रेलवे के ही वाराणसी, अम्बाला, दिल्ली और देहरादून में बड़ा ब्लॉक लेकर वॉशबेल एप्रेन कार्य कराया जा चुका है।