बाग/धार, (हि.स.)। जिले के सिंचाई तालाबों में से एक खनिअम्बा सिंचाई तालाब भी सरकार ने इसलिए बनाया था, ताकि गरीब आदिवासी किसानों को खेती में सिंचाई का लाभ मिले और उनका जीवन स्तर भी ऊंचा उठ सके, परन्तु अधिकारियों के मन में कुछ और था और उन्होंने इस तालाब को सिर्फ शो पीस बनाने की ठानकर ही तालाब निर्माण और साथ में नहरों का निर्माण करवाया, जिससे आज तक 10 साल बाद भी नरवाली और गडरावद के किसानों के खेतों में तो पानी नहीं पहुंच सका। किसानों का आरोप है कि नहरों का निर्माण पक्की करना था, परन्तु उन्हें कच्ची बनाकर छोड़ दिया जिससे खनिअम्बा जहाँ तालाब निर्मित है, वही के सभी किसानों को नहरों के माध्यम से पानी नहीं मिल रहा है तो फिर अन्य ग्रामीण गाँवो में पानी पहुँचने की बात सोचना ही बेमानी होगी।
एक करोड़ की लागत से पक्की नहरों का निर्माण करना था परन्तु उस वक्त के तत्कालीन जल संसाधन विभाग के अधिकारियो ने पूरे 6 किलोमीटर की नहर को कच्ची बनाकर पुरे मामले में मनमर्जी चलाई कुछ जगह ऐसी हे जहाँ दिखावे के लिए टुकड़ो में पक्की नहर बना दी है इस बात से ही पता चलता हे की इस तालाब और नहरों को बनाने को लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारियो के मन में पाप था ।ग्रामीण किसानों का तो कहना है कि हमारे लगातार कहने के बावजूद इतने बड़े तालाब निर्माण की नहरों को कच्ची बनाने का औचित्य ही क्या रहा।
सुबह से पहुँच जाते हे किसान पानी की आस में तालाब पर
तालाब से पानी नहीं छोड़े जाने से दुखी किसानो के पास कोई काम नहीं है वे बुआई भी नहीं कर पा रहे हे ऐसे में पानी की आस में वे सभी सुबह से ही तालाब की पाल पर बैठकर तालाब के भरे हुए पानी को देखते रहते है कि उनको यह पानी कब नसीब होगा।किसान माडिय़ा मोतीसिंह,सुरसिंह मोटला,भरम सिह छितु,हरसिह पोटू, गंगू भुवान,लालू काल्या कहते हे की देखो नसीब का खेल है कि पानी के पास बैठकर हम पानी को देखभर सकते हे परन्तु उपयोग नहीं कर सकते। लगभग 5 करोड़ की लागत से ठेकेदार ने इसे बनाया और 560 हेक्टर क्षेत्र में सिचाई होना थी और 5 ग्रामो के 300 से अधिक किसानों को सिचाई नहरों के माध्यम से खेती में करना थी जो अबतक नहीं हो पारही हे।
युवा आदिवासी नेता सोहन डावर नरवाली का कहना है कि तालाब की देख रेख के लिए चोकीदार भी नहीं है अन्यथा यह सिलुज गेट की प्लेट नहीं टूटती वही कांग्रेस नेता अशोक माझी का कहना है कि यहाँ भवन निर्माण होना था तालाब निर्माण के दौरान वह भी नहीं हुआ है। सोमवार को स्वदेश में प्रकाशित खबर को जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव अग्रवाल की खबर उनके मेल पर भेजने की बात भी माझी ने बताई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शनिवार को इस संबंध में मुख्यमंत्री हेल्प लाईन पर शिकायत भी की गई परन्तु किसानों की इस गम्भीर समस्या पर अबतक किसी ने कोई सुध नहीं ली है।इस पुरे मामले में जल संसाधन विभाग धार के ईई खरत को भी फोन लगाया गया परन्तु उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।