शिमला, (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने राजधानी शिमला के ग्रीन, कोर व वन क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माणों को नियमित करने और नए निर्माण पर रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल ने ऐसे अभी तक हुए अवैध निर्माण को गिराने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। ग्रीन, कोर व वन क्षेत्र से बाहर हुए अवैध निर्माण के केवल वही मामले नियमित किए जाएंगे, जिनके लिए 13 नवंबर 2017 से पहले आवेदन आए हैं। इसके साथ ही प्रदेश के दूसरे हिस्सों में किसी भी तरह के अवैध निर्माण को नियमित करने पर ट्रिब्यूनल में रोक लगा दी है।
शिमला के ग्रीन, कोर व फोरेस्ट एरिया में हुए अवैध निर्माण के बारे में एनजीटी ने नगर निगम शिमला सहित संबंधित सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी निर्माण कार्यों को गिराने के लिए आदेश पारित किए जाएं। यही नहीं एनजीटी ने यह भी साफ किया कि यदि किसी ने शिमला के कोर, ग्रीन व वन क्षेत्र से बाहर अवैध निर्माण को नियमित करने का आवेदन 13 नवंबर 2017 से पहले कर रखा है,तभी वह नियमित हो सकेगा।
एनजीटी ने कहा है कि भवन के नियमितीकरण की एवज में पर्यावरण मुआवजा देना होगा। आवासीय भवनों के लिए 5000 रुपए प्रति वर्ग फुट और व्यावसायिक भवन के अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए एक लाख रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पर्यावरण मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं।
एनजीटी ने यह भी साफ किया है कि यह शुल्क अन्य प्रकार के शुल्क से अलग होगा। ऐसे में अब साफ कर दिया गया है कि अब हिमाचल प्रदेश में 13 नवंबर के बाद किए गए किसी भी अनधिकृत निर्माण को नियमित नहीं किया जाएगा। वहीं यह निर्माण तभी नियमित होंगे, जब वह यह फीस भरने के साथ ही अन्य मापदंडों को पूरा करेंगे।