जयपुर, (हि.स.)। प्रदेश में जापानी बुखार का पहला मामला सामने आने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। इस बार यह मामला बुंदी से सामने आया है इससे पहले राजसंमद और उदयपुर में इस रोग के मामले सामने आए थे। मस्तिष्क ज्वर के खतरनाक रूप इस बीमारी के लक्षण के पीडि़त मिलने के बाद बुंदी के पाटण इलाके में 30 वर्षीय महिला में इस रोग की पुष्टि हुई है इसके बाद उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से आसपास के इलाके में लोगों की स्क्रीनिंग कराई जा रही है। इस खतरनाक ज्वर के वायरस केन्द्रीय तंत्र का प्रभावित करते हैं। इस बीमारी से यूपी में ही हर वर्ष सैकड़ों बच्चों की जान चली जाती है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से बीमार से बचाव के लिए मच्छरों को मारने के लिए क्षेत्र में गहन फॉगिंग करवा रही हैं इसके अलावा बुखार जैसे लक्षणों से रोगियों का पता लगाने के लिए क्षेत्र के सर्वेक्षण करवाए जा रहे हैं। जिस महिला की मौत हुई है उसके नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एनआईवी, पुणे द्वारा जारी एक रिपोर्ट में जेई के लिए सकारात्मक लक्ष्ण मिले है। इस महिला को 8 अक्टूबर को सरकारी एमबी हॉस्पिटल में इलाज के लिए बुंदी से कोटा लाया गया थाए लेकिन 16 अक्टूबर को इस बीमारी से मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि इसससे पहले भी इस बीमारी के लक्षण राजसमंद और उदयपुर से 200 9 में 2016 में सामने आया था।
लगातार बढ़ रहा है प्रकोप: पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग फोगिंग के दावे करता रहा और इसके आंकड़े भी प्रदर्शित करता रहा है लेकिन हकीकत यह है कि राजधानी जयपुर में मच्छर-मक्खियों का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों इस बीमारी को लेकर गंभीरता आसानी से समझी जा सकती है। इस बीमारी से बचाव ही बेहतर उपाय है। अभी तक इस बीमारी के लक्षण वाले मरीजों को बचा पाना मुश्किल रहा है।
मच्छरों के जरिए आता है वायरस:
जापानी बुखार एक दिमागी बुखार है। यह फ्लैविवायरस के संक्रमण से फैलता है। ये वायरस इंसानों में मच्छरों के जरिए आता है। साल 1871 में जापान में इस वायरस का पहला केस देखा गया था और इसलिए इसे जैपनीज इन्सेफ्लाइटिस कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दुनिया में 68 हजार जापानी बुखार के मामले सामने आते हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके और बिहार में इसका प्रकोप सबसे ज्यादा देखा जाता है। सरकारी आंकड़ों के साल 2005 में करीब 1500 लोग जापानी बुखार के चलते मारे गए। 2005 के बाद इसके प्रति सरकार ने कदम तो उठाए लेकिन जापानी बुखार फिर भी उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और नागालैंड के बाद अब राजस्थान में तेजी से फैल रहा है। हालांकि अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में यह ज्यादा फैलता है लेकिन मौसम में इस बार देरी से बदलाव आने के कारण दिसम्बर तक इसके वायरस सक्रिय रह सकते है।
इस बीमारी के लक्षण दिखते ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए जिससे समय पर उपचार किया जा सके। इसके अलावा टीकाकरणए मच्छरों से बचावए घर के आसपास पानी जमा न होने देने आदि से इससे बचा जा सकता है। इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को बुखार और सिर में दर्द की शिकायत रहती है। गंभीर प्रकार के संक्रमण में सिरदर्द, तेज बुखार, गर्दन में अकडऩ, घबराहट, कोमा में चले जाना, कंपकंपी, कभी-कभी ऐंठन ,विशेष रूप से छोटे बच्चों में और मस्तिष्क निष्क्रिय होने की आशंका भी बनी रहती है। वहीें बहुत ही कम मामले में पक्षाघात भी होता है। जापानी एनसेफेलाइटिस की संचयी कालवधि सामान्यत: 5 से 15 दिन होती है। पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 68 हजार लोग संक्रमित होते हैं जिनमें से 20,400 लोगों की मृत्यु हो जाती है। एशिया महाद्वीप के कुल 14 देश इस बिमारी से प्रभावित हैं जिनमें चीन भी शामिल है।