लखनऊ, (हि.स.)। पपीता स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें कई पाचक इन्जाइम भी पाये जाते है तथा इसके ताजे फलों को सेवन करने से लम्बी कब्जियत की बिमारी भी दूर की जा सकती है। इसकी खेती करके किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है।
इसकी खेती के लिए गर्म नमी युक्त जलवायु की अवश्यकता होती है, इसे अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस 44 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है, न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से कम नही होना चाहिए।
जमीन उपजाऊ हो तथा जिसमें जल निकास अच्छा हो तो पपीते की खेती उत्तम होती है, जिस खेत में पानी भरा हो उस खेत में पपीता कदापि नही लगाना चाहिए।
खेत को अच्छी तरह जोंत कर समतल बनाना चाहिए तथा भूमि का हल्का ढाल उत्तम है, 2 मीटर के अन्दर पर लम्बा, चौडा, गहरा गढ्ढा बनाना चाहिए, इन गढ्ढों में 20 किलो गोबर की खाद, 500 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 250 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश को मिट्टी में मिलाकर पौधा लगाने के कम से कम 10 दिन पूर्व भर देना चाहिए।
एक हेक्टेयर के लिए 500 ग्राम से एक किलो बीज की आवश्यकता होती है, पपीते के पौधे बीज द्वारा तैयार किये जाते है, एक हेक्टेयर खेती में प्रति गढ्ढे 2 पौधे लगाने पर 5000 हजार पौध संख्या लगेगी।
गर्मी में 4 से 7 दिन तथा ठण्ड में 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए, पाले की चेतावनी पर तुरंत सिंचाई करें, तीसरी सिंचाई के बाद निंदाई गुडाई करें। जडों तथा तने को नुकसान न हो।
यह हैं कुछ किस्में
पूसा मेजस्टी एवं पूसा जाइंट, वाशिंगटन, सोलो, कोयम्बटूर, हनीड्यू, कुंर्गहनीड्यू, पूसा ड्वार्फ, पूसा डेलीसियस, सिलोन, पूसा नन्हा आदि प्रमुख किस्में है।
कोट-
पपीते की खेती किसानों के लिए महत्वपूर्ण होती है। सही ढंग से करने पर इसमें अच्छा खासा मुनाफा भी हो सकता है। छोटी अवस्था में फलों की छटाई अवश्य करना चाहिए। प्रति हेक्टर पपीते का उत्पादन 35-40 टन होता है। यदि 1500 रू. टन भी कीमत आंकी जावें तो किसानों को प्रति हेक्टर 34000.00 रू. का शुद्ध मुनाफा हो सकता है।
-एस.के. सिंह कृषि विशेषज्ञ