वाराणसी, (हि.स.) । बुनकर बिरादराना तंज़ीम बावनी के सदर हाजी मुख्तार महतो ने शुक्रवार 17 नवम्बर को मुर्री बंद करने का एलान किया हैं। बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी के फरमान पर बुनकर रवायत के अनुसार मुर्री (करघा,लूम)बंद रखेंगे । और पुरानापुल स्थित बड़ी ईदगाह में खास नमाज अदा कर मुल्क की सलामती के लिए खुदा से दुआ करेंगे।
बाइसी पंचायत के ऐलान पर मुर्री बन्द नमाज में लल्लापुरा, बड़ीबाजार, सरैया, छित्तनपुरा, अलईपुरा, कच्चीबाग, जलालीपुरा, दोषीपुरा, शक्कर तालाब, लहंगपुरा, लद्धनपुरा, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, बजरडीहा के बुनकरो का हुजूम नमाज अदा करने पहुंचता है। मुर्री बन्द नमाज में मौलाना नूरुल हसन,चौदहों के सरदार मकबूल हसन, हाजी इब्राहिम, यासीन मुकादम, मुमताज अली बाबर, हाजी खलीलुर्रहमान, सरदार नुरूद्दीन, हाजी जलालुद्दीन, पूर्व विधायक अब्दुल समद अंसारी, हाजी मकबूल की बड़ी भूमिका रहती हैं। यह नमाज चौकाघाट मछली मंडी स्थित मस्जिद में मौलाना नसीरुद्दीन के इमामत में भी अदा होती है।
वरिष्ठ पत्रकार सलीम सुहरवर्दी ने बताया कि तकरीबन 700 साल पहले मुल्क में अफरा तफरी का माहौल था। तब अगहन के दूसरे जुमे को कारोबार और मुल्क की बेहतरी के लिए मुसलमानों ने अपना कारोबार बंद करके इश्ते माई (सामूहिक) नमाज का रिवाज शुरू किया था। वह परंपरा आज भी बदस्तूर जारी है। बताया कि इस मौेके पर शहर के सरैया, अमरपुर बटलोहिया, मोहम्मदपुर, शक्करतालाब, जलालीपुरा, कोनिया, नक्खीघाट, छितनपुरा, पठानीटोला, बड़ी बाजार, कच्चीबाग, पीलीकोठी, कुदबन शहीद, मोहम्मद शहीद, बुनकर मार्केट, कज्जाकपुरा, राजघाट, किलाकोहना आदि में करघों की खटर-पटर बंद रख बुनकर नमाज में शामिल होते है। बताया कि अगहनी जुमे की रवायत केवल बनारस में ही है, यह हिन्दू-मुस्लिम एकता की बहुत ही पुरानी रवायत है। जिसमें मुस्लिम नमाज़ अदा करते हैं तो हिन्दू गन्ने की फसल वहां लाकर बेचते हैं जिसे मुस्लिम खरीदकर ईदगाह से घर लौटते हैं।