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अश्वगंधा औषधीय गुण से भरपूर
By Deshwani | Publish Date: 13/11/2017 3:44:22 PM
अश्वगंधा औषधीय गुण से भरपूर

लखनऊ, (हि.स.)। अश्वगंधा आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके पौधे से इसका चूर्ण और बंचेनसम भी बनाया जाता है जिसके कई गुण होते है जैसे की इवकल में खून की मात्रा को बढ़ाना, वजन को घटाना, लकवा से बचाना आदि। अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसके साथ-साथ इसे नकदी फसल के रूप में भी उगाया जाता है। सभी ग्रथों में अश्वगंधा के महत्ता के वर्णन को दर्शाया गया है। इसकी ताजा पत्तियों तथा जड़ों में घोंड़े की मूत्र की गंध आने के कारण ही इसका नाम अश्वगंधा पड़ा।
यह उष्णकटिबंधी और समशीतोष्ण जलवायु की फसल है। अशवगंधा को शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। बारिश के महीने के अंतिम दिनों में इसे बोया जाता है। फसल के विकास के लिए शुष्क मौसम अच्छा रहता है। जिन स्थान में वर्षा 660-750 मिमी की होती है वे स्थान फसल के विकास के लिए उपयुक्त होते है। 
अश्वगंधा की खेती के लिए रेतीली दोमट से हल्की भूमियों में अच्छी मात्रा कार्बनिक पदार्थ एवं मृदा पी एच 7.5 - 8 के बीच होनी चाहिए और अच्छी जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए।
अगस्त और सितम्बर माह में जब वर्षा हो जाऐ उसके बाद जुताई करनी चाहिये। दो बार कल्टीवेटर से जुताई करने के बाद पाटा लगा देना चाहिये। 10-12 कि0ग्रा0 बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है। अच्छी पैदावार के लिये पौधे से पौधे की दूरी 5 सेमी0 तथा लाइन से लाइन की दूरी 20 सेमी0 रखना चाहिये।
अश्वगंधा की पौधा जुलाई-सितम्बर में फूल आता ह और नवम्बर-दिसम्बर में फल लगता है। अश्वगंधा की पौधे के फल से बीज निकालकर उसे सूर्य के रोशनी में सूखने दिया जाता है। बुवाई के पहले बीजों को 24 घण्टे के लिये ठण्डे पानी में भिगो दिया जाता है तथा उसे छिड़काव विधि द्वारा तैयार बीजों को सीधे खेत में बो दिया जाता है और हल्के मिट्टी से ढक दिया जाता है।
इसकी की फसल को खाद एवं उर्वरक अधिक आवश्यकता नहीं रहती है। पिछले फसल के अवशेष उर्वरकता से खेती किया जाता है।इसके लिए सिर्फ गोबर की सड़ी खाद पर्याप्त होती है। 
अश्वगंधा के जड़ों का उपयोग पाउण्डर बनाकर कमजोरी, दमा, कफ संबंधी बीमारी, अनिद्रा, हृदय रोग एवं दुर्घटना में बने घाव के उपचार में किया जाता है। जड़ों के पाउण्डर को मधु एवं घी से मिलाकर कमजोरी के लिये प्रांरभिक उपचार किया जाता है। अश्वगंधा जड़ के चूर्ण का सेवन से शरीर में ओज तथा स्फूर्ती आती है तथा रक्त में कोलस्ट्राल की मात्रा को कम करने के लिये उपयोग किया जाता है।
अश्वगंधा औषधीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह जड़ी बूटी शरीर में रक्तचाप को बिलकुल सही रखती है। इसे खाने से तनाव भी कम होता है। इस औषधि में डायबटीज को कम करने और कोलेस्ट्रॉल को घटाने की क्षमता होती है। अगर किसी को नींद नहीं आती है तो अश्वगंधा का सेवन करने से यह समस्या दूर हो जाती है।
एस.के सिंह कृषि विशेषज्ञ
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