जम्मू, हि.स.)। राज्य में पिछले तीन महीनों से भी अधिक समय से बारिश नहीं होने के कारण एक ओर यहां किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं, तो दूसरी ओर प्राकृतिक जल स्रोतों सहित नदियों का जलस्तर भी कम होने लगा है। बारिश नहीं होने से सूखे जैसे हालात पैदा होने लगे हैं और इसका असर अब प्राकृतिक जल स्रोतों सहित नदियों पर भी देखने को मिल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में झरनों और बावरियों के पानी का इस्तेमाल लोग घरों में करते हैं और तालाबों और छोटे नालों का इस्तेमाल अपने मवेशियों के लिए करते हैं। इसके अलावा नदियों का पानी पीएचई के जरिए पीने के लिए और अपनी फसलों की सिंचाई करने के लिए करते हैं।
बारिश नहीं होने से इन प्राकृतिक स्रोतों का जलस्तर कम होने से इन पर निर्भर होने वाले पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। सीमावर्ती पुंछ और राजौरी जिलों में स्थिति कुछ अधिक विकराल रूप लेती दिखाई दे रही है। बारिश नहीं होने के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजौरी में बहने वाली तीन प्रमुख नदियों थंडीकासी मंजाकोट से कस्बे की ओर बहने वाली सुकुथ नदी, दरहाली नदी और खांडीली नदियों में जलस्तर कम हो गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस समय पानी केवल मध्य में ही बह रहा है और किनारे पूरी तरह से सूख चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह पिछले साल की तुलना में 60 प्रतिशत कम है।
इस बारे में अनवर चौधरी ने कहा कि पिछले तीन महीनों से भी अधिक समय से बारिश नहीं होना और नदियों का जलस्तर कम होना हमारे लिए एक चेतावनी है। एक और स्थानीय निवासी राज कुमार ने कहा कि पहले भी इस मौसम में नदियां का जलस्तर कम होता था लेकिन इतना नहीं और यह स्पष्ट संकेत है कि हालात अच्छे नहीं हैं। हमें पर्यावरण के बारे में अपने व्यवहार का आत्ममंथन करना होगा।
एक और नागरिक ने कहा कि राजोरी का क्षेत्र पानी के इस्तेमाल के लिए अधिकतर नदियों पर निर्भर है और इस तरह से नदियों का जलस्तर कम होना एक गंभीर चिंता का विषय है। वहीं ऐसी ही स्थिति जम्मू में बहने वाली तवी नदी और साम्बा जिले में बहने वाली बसन्तर नदी की बनी हुई है। इनका भी जलस्तर इस समय काफी हद तक कम हो गया है तो कठुआ जिले में बहने वाले उज्ज़ दरिया में भी जलस्तर कम होने से परेशानी और बढ़ गई है।
इस दरिया पर जसरोटा के पास बांध बनाया गया है और वहां से निकलने वाली नहर से किसान अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं। लेकिन जलस्तर कम होने से नहर में भी पानी न के बराबर ही है जिससे किसान और परेशान हो गया है। ऐसी ही स्थिति समूचे जम्मू संभाग के सभी जिलों के पहाड़ी क्षेत्रों में बनी हुई है। मौसम विभाग ने 14 और 15 नवम्बर को बारिश की भविष्यवाणी की है और अब सबकी नजरें अगले कुछ दिनों की ओर लगी हुई हैं।