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99 साल का इंतजार खत्म, सीएम ने दिया वनटांगियों को राजस्व ग्राम का दर्जा
By Deshwani | Publish Date: 20/10/2017 10:50:11 AM
99 साल का इंतजार खत्म, सीएम ने दिया वनटांगियों को राजस्व ग्राम का दर्जा

गोरखपुर, (हि.स.)। अंग्रेजों के जमाने से बेतहाशा जुल्म झेलते आ रहे वनटांगियों का इंतजार 99 साल बाद खत्म हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को उनके बीच पहुंचे। इस वक्त वह वनटांगिया मजदूरों और उनके बच्चों के बीच काफी समय बिताये। इसके पहले भी वह हर साल यहां आते रहे हैं। वह यहां दिवाली पर बच्चों के ड्रेस, कॉपी-किताब और ढेर सारे खिलौने लाते थे। इस बार सीएम ने वनटांगियों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया है। जिससे यह दिवाली उनके लिए और खुशियों भरी हो गई है। 

गौरतलब है कि देश में टांगिया पद्धति से जंगल लगाने की शुरुआत हुई। उन दिनों देश में रेलवे का विस्तार किया जा रहा था। पटरियां बिछाने के लिए बड़े पैमाने पर मजबूत लकड़ियों की जरूरत थी। जंगलों से बड़े पैमाने पर साखू लकड़ी की कटाई होने लगी। तब ब्रिटिश सरकार ने साखू के नये जंगल लगाने का फैसला किया। बताते हैं कि अंग्रेज अधिकारियों का एक दल बर्मा गया हुआ था। वहां उन्होंने टांगिया पद्धति से जंगल लगाने का काम देखा और वापस आकर भारत में मजदूरों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। अंग्रेज, मजदूरों के अलग-अलग जत्थे बनाते। उन्हें जंगल लगाने के लिए अलग-अलग स्थानों पर अस्थाई रूप से बसा देते।

मजदूरों के एक जत्थे के हिस्से 30 हेक्टेअर जमीन आती थी। साखू के पौधे लगाने के बाद पांच साल तक मजदूरों को उसी जमीन पर पौधों की देखरेख करनी होती थी। इसके लिए वे उन पौधों के आसपास ही रहते थे। पौधों के बीच मजदूरों को खेती के लिए जमीन मिलती थी जिसमें वे एक फसल उगा सकते थे। बताते हैं कि पौधरोपण और उनकी सुरक्षा करने की टांगिया पद्धति का पालन अंग्रेज अधिकारी बड़ी सख्ती और निर्दयता से कराते थे। मजदूरों को तपती दुपहरिया, बारिश और ठंड के दिनों में समान रूप से काम करना पड़ता था। छोटी-मोटी गलती पर भी उन्हें सख्त सजा दी जाती थी। यह एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी।

आजादी के बाद भी गोरखपुर और महराजगंज सहित उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 80 के दशक की शुरुआत तक टांगिया मजदूरों से काम लिया जाता रहा लेकिन इसके बाद वन विभाग और वनटांगिया मजदूरों के बीच संघर्ष होने लगा। वन विभाग, टांगियों को अतिक्रमणकारी मानते हुए जंगल से बाहर करने पर तुल गया। उधर, टांगियों का कहना था कि पीढ़ियों से यही काम करने के चलते उनके पास जंगल और खेती के अलावा और कुछ है ही नहीं।

एक नजर में वनटांगिया मजदूरों का दृश्य

 

- 05 गांव गोरखपुर में हैं वनटांगियों के 

- 23 वनटांगिया गांव महराजगंज में हैं 

- 4573 वनटांगिया परिवार रहते हैं इन गांवों में 

- 05 गांव गोरखपुर के राजस्व ग्राम में होने वाले हैं तब्दील 

- 635 एकड़ जमीन है इन गांवों में, 654 परिवारों के नाम होगी

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