लखनऊ, (हि.स.)। आयुर्वेद भारत की हजारों वर्ष प्राचीन पद्धति है। जिसका विशेष महत्व अब तक स्थापित नहीं किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलग विभाग बनाकर उसके महत्व का परिचय कराया है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने योग को भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में पहचान दिलाकर सम्मान दिलाया।
यह बातें मंगलवार को राजभवन के गांधी सभागार में धन्वन्तरि जयंती के अवसर आयुर्वेद विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित संगोष्ठी ‘आयुर्वेद के द्वारा वेदना निवारण’ में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कही। इस अवसर पर धन्वन्तरि वाटिका, राजभवन द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ‘शतायु की ओर’ के सप्तदशम् अंक का लोकार्पण भी किया।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अलग से आयुष विभाग का गठन किया है। केन्द्र और राज्य सरकार के एक दिशा में चलने पर जहां आयुर्वेद का महत्व बढ़ेगा, वहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम आदमी को लाभ मिलेगा। आयुर्वेद के नियमों के अनुसार स्वास्थ्य रक्षा पर अधिक जोर देने की आवश्कता है। देश-विदेश में आयुर्वेद के प्रति झुकाव एवं मांग को देखते हुए आयुर्वेद पद्धति पर आधारित अच्छे चिकित्सालय उपलब्ध होने चाहिए। आयुर्वेदिक उपचार के लिए विदेशों से लोग भारत आ रहे हैं।
राज्यपाल ने आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह पर राजभवन की तरह औषधीय पौधों की वाटिका स्थापित करने का आग्रह किया है। कहा कि इससे लोगों को वनस्पतियों के बारे में जानकारी होगी, साथ ही उससे प्रेरित होकर किसान भी औषधीय पौधों की खेती पर ध्यान देगा।
आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्म सिंह सैनी ने कहा कि अन्त्योदय की तरह ही आयुर्वेद का लाभ भी समाज के अंतिम छोर तक पहुंचाया जायेगा। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा जितना प्रोत्साहन दिया जा रहा है, प्रदेश सरकार भी उसको पूरा करने के लिये संकल्पबद्ध है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि आयुर्वेद के महाग्रंथ कश्यप संहिता में बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में स्वर्ण प्राशन विधि कारगर बतायी गयी है। इसको ध्यान में रखते हुए ही ‘शतायु की ओर’ पुस्तिका में शिशु स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने तथा अस्वस्थ होने पर शिशु की रक्षा कैसे की जाये, के बारे में विस्तृत प्रकाश डाला गया है।