लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि बिजली उपभोक्ताओं के साथ किसी भी दशा में अन्याय नहीं होगा। इस सरकार में नियमों से हटकर कोई भी कार्यवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। ऊर्जा मंत्री ने सूबे के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के मामले में यह आश्वासन विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा को दिया है।
श्रीकांत शर्मा ने कहा कि कोई भी अधिकारी नियमों के विरूद्ध कोई भी काम किसी के दबाव में नहीं कर सकता। प्रदेश सरकार इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है। सरकार उपभोक्ताओं के हित का पूरा ख्याल रखेगी।
परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को यहां ऊर्जा मंत्री से मुलाकात कर उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुए कहा, ‘पावर कार्पोरेशन नियामक आयोग पर दबाव डालकर नगर निगम चुनाव की आचार संहिता के मद्देनजर दीपावली से पहले या उसके तुरन्त बाद प्रदेश के 1.85 करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली दरों में नियम विरूद्ध व्यापक बढ़ोत्तरी कराए जाने पर आमादा है।’ पावर कार्पोरेशन के अधिकारी अपने निजी स्वार्थ में उप्र सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं।
वर्मा ने कहा कि चार सितम्बर, 2017 को आयोग द्वारा बिजली दर प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। विद्युत अधिनियम 2003 के प्राविधानों के तहत अधिकतम 120 दिन के अन्दर बिजली दर को जारी करना होता है। ऐसे में आयोग के पास 4 जनवरी, 2018 तक का समय है, लेकिन पावर कार्पोरेशन अनैतिक दबाव डालकर नगर निगम चुनाव आचार संहिता के पहले बिजली दर घोषित कराना चाहता है।
परिषद अध्यक्ष ने यह भी मुद्दा उठाया कि 12 अक्टूबर को लखनऊ में सुनवाई के दूसरे दिन 13 अक्टूबर को पावर कार्पोरेशन में उपभोक्ताओं की आपत्तियों को भेजकर उसी दिन जवाब भी ले लिया गया। सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला यह है कि उपभोक्ताओं की आपत्तियों का 5 प्रतिशत सही जवाब भी नहीं लिया गया। जब नियामक आयोग में फुल पीठ 3 सदस्य कार्य करते थे, उस दौरान 3 महीने से कम समय में कभी भी टैरिफ नहीं निकला। ऐसे में वर्तमान में एक सदस्य केवल 1 महीने 15 दिन के अन्दर कैसे बिजली दर घोषित कर सकता है। यह तो केवल विद्युत अधिनियम 2003 का मजाक व औपचारिकता ही साबित होगी।