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जापानियों ने ली बुद्ध के अंतिम शिष्य सुभद्र के स्तूप का संज्ञान, दुनिया में दिलाएंगे पहचान
By Deshwani | Publish Date: 15/10/2017 1:52:50 PMकुशीनगर, (हि.स.)। गौतम बुद्ध के अंतिम शिष्य सुभद्र के स्तूप की पहचान उजागर होते ही जापान के बौद्ध अनुआइयों के दल ने संज्ञान लिया। कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में स्थित यह स्तूप ब्रिटिशकाल में पुरावशेषों की खुदाई के दौरान यह मिला था। पर इसकी पहचान नहीं हो पा रही थी कि यह स्तूप किसकी स्मृति में बनाया गया। कुछ दिनों पूर्व पुरातत्व विभाग ने स्तूप को बुद्ध के अंतिम शिष्य सुभद्र का होना बताया। मीडिया के माध्यम से इसकी खबर जापान तक पहुंची। स्तूप के जीर्णोद्धार के लिए जापानी दल जल्द ही कुशीनगर आएगा। योजना स्तूप को दुनिया में पहचान दिलाने की है।
जापानी बौद्ध श्रद्धालुओं को सुभद्र के स्तूप के मिलने की जानकारी हुई तो उन्होंने टोक्यो स्थित एक होटल के महाप्रबंधक से फोटो सहित इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। महाप्रबंधक ने कुशीनगर स्थित अपने कंसल्टेंट होटल रायल रेजीडेंसी के उपमहाप्रबधंक पंकज कुमार सिंह से जानकारी लेकर जापानी दल को सूचना मुहैया कराई।
स्तूप की फोटोग्राफ्स और विस्तृत विवरण तैयार कर जापान भेजा गया। सुभद्र स्तूप महापरिनिर्वाण मंदिर चबूतरे के सटे दक्षिण नीचे की ओर स्थित है। बौद्ध साहित्य के अनुसार बुद्ध ने अपने परिनिर्वाण के पूर्व सुभद्र को दीक्षा दी थी। सुभद्र को बुद्ध का अंतिम शिष्य माना जाता है। बुद्ध द्वारा महापरिनिर्वाण के लिए कुशीनगर को चुनने के तीन कारणों में सुभद्र को दीक्षा देना महत्वपूर्ण कारण था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहायक सहायक सर्वेक्षण पुरातत्वविद् ई. पंकज कुमार तिवारी ने बताया कि सुभद्र स्तूप को महत्ता के अनुरूप जीर्णोद्धार करने की योजना बनाई जा रही है।