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‘सेन्ट्रल जेल में शहीद स्मारक का लोकार्पण कर सकते हैं सीएम योगी’
By Deshwani | Publish Date: 11/10/2017 3:21:03 PM
‘सेन्ट्रल जेल में शहीद स्मारक का लोकार्पण कर सकते हैं सीएम योगी’

वाराणसी, (हि.स.)। शिवपुर स्थित केन्द्रीय कारागार में बने शहीद स्मारक का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकार्पण कर सकते हैं। शहीद स्मारक कारागार के उसी स्थान के पास बनाया गया हैं जहां महज 15 वर्ष की उम्र में चन्द्रशेखर आजाद के शरीर पर 15 बेंत बरसाये गये थे। उस स्थान पर आज भी शिलापट्ट मौजूद हैं जबकि जेल के बाहर अमर शहीद की आदमकद प्रतिमा लगायी गयी है। 
वरिष्ठ जेल अधीक्षक अम्बरीष गौड़ ने बुधवार को बताया कि शहीद स्मारक का जीणोद्धार कार्य तेजी से चल रहा है। कार्य लगभग अन्तिम दौर में है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अक्टूबर माह में काशी में प्रस्तावित दौरे में इसका लोकार्पण कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों से चर्चा चल रही है कि मुख्यमंत्री जेल में शहीद स्मारक या चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा का लोकार्पण कर सकते हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं जेल में शहीद स्मारक के लोकार्पण को लेकर बंदियों के साथ जेल कर्मियों में भी उत्सुकता बनी हुयी है।
गौरतलब हो कि वर्ष 1921 में असहयोग आंदोलन के समर्थन में देश भर में धरना-प्रदर्शन हो रहे थे। तब अमर शहीद किशोरवय चंद्रशेखर यहां संस्कृत के विद्वार्थी थे । आंदोलन के समर्थन में चन्द्रशेखर आजाद 15-20 छात्रों को लेकर दशाश्वमेध घाट रोड पर विदेशी वस्त्र की दुकान के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। सूचना पर वहां पहुंची पुलिस ने छात्रों पर लाठियां भांजी। लाठियों से बचते हुए उनके मित्र इधर-उधर निकल गये, लेकिन आजाद अपनी जगह पर खड़े रहे। एक दरोगा लोगों पर बेरहमी से डंडे बरसाने लगा। चंद्रशेखर आजाद से यह देखा नहीं गया और उन्होंने दरोगा को पत्थर मारा। जिससे वह घायल होकर गिर पड़ा। पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर थाने ले गयी। उस समय दिसंबर की कड़ाके की सर्द रात थी। थाने के हवालात में चंद्रशेखर को ओढ़ने-बिछाने के लिए कोई बिस्तर नहीं दिया गया। पुलिस का ऐसा सोचना था कि यह लड़का ठंड से घबरा जाएगा और माफ़ी मांग लेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह देखने के लिए कि लड़का शायद वह ठंड से ठिठुर रहा होगा, आधी रात को थानेदार ने चंद्रशेखर की कोठरी का ताला खोला। वह देखकर चकित रह गया कि चंद्रशेखर दंड-बैठक लगा रहे थे। कड़कड़ाती ठंड में भी पसीने से तर-बतर थे। दूसरे दिन चंद्रशेखर को न्यायालय में पेश किया गया। जब मजिस्ट्रेट ने नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम आजाद, मां का नाम धरती और पिता का नाम स्वतंत्रता बताया। घर जेलखाना बताया। मजिस्ट्रेट ने उनके इस तेवर पर 15 कोड़े मारने की सजा सुना दी। उन्हें सेंट्रल जेल ले जाया गया। जेलर आजाद की पीठ पर कोड़े बरसाता रहा और वह भारत माता के जयकारे लगाते रहे। इस घटना के बाद सुर्खियों में आए आजाद को जेल से रिहा होने के बाद लोगों ने कंधे पर बिठाकर शहर में घुमाया था। चन्द्रशेखर को काशी में ही आजाद नाम मिला था।
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