लखनऊ, (हि.स.)। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में मुर्गी पालन अल्प अवधि में छोटे एवं बडे़ स्तर पर आमदनी एवं रोजगार उपलब्ध कराने का अच्छा साधन है। इसके माध्यम से अच्छा मुनाफा भी कामाया जा सकता है।
अगर मुर्गीपालन से मुनाफा लेना है, तो उसके आहार का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इस व्यवसाय में तीन तरह के आहार होते हैं (प्रारम्भिक आहार, ग्रोवर आहार और फिनिशर आहार)।”
केंद्र के पशु पालन वैज्ञानिक डॉ. विद्या सागर की माने तो मुर्गीपालन लाभकारी व्यवसाय है। यह व्यवसाय कृषि व्यवसाय का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। इस व्यवसाय में जितना खर्चा आता है, उसके 70 से 75 फीसदी खर्चा आहार प्रबंधन पर जाता है। अगर मुर्गीपालक पक्षियों का आहार प्रबधंन ठीक तरह से करते हैं, तो अंडा और मीट दोनों तरह से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
पशुचिकित्सक डॉ. त्रिवेणी पांडेय ने बताया कि तीनों आहारों का समय भी अलग होता है। जैसे शून्य से 10 तक चूजों का प्रारम्भिक राशन होता है। 10 से 15 दिनों में ग्रोवर राशन शुरू कर देना चाहिए और 15 से लेकर जब तक उससे मांस या अंडे के लिए बेचा नहीं जाता, जब तक उसे फिनिशर राशन देना चाहिए।
अगर मुर्गीपालक खुद ही आहार बना रहा है तो आहार में प्रोटीन और ऊर्जा की कितनी मात्रा हो इस बारे में डॉ. पांडेय बताते हैं, “बाज़ारों में लेयर और ब्रॉयलर के तीन आहार मिल जाते हैं। पोल्ट्री में प्रारम्भिक आहार में प्रोटीन की मात्रा 22 से 24 प्रतिशत और ऊर्जा की मात्रा 27 से 28 किलो कैलोरी तक होती है। ग्रोवर आहार में प्रोटीन और ऊर्जा की मात्रा प्रारम्भिक राशन की तुलना में थोड़ा कम हो जाता है।’’
वो आगे बताते हैं कि ग्रोवर आहार में प्रोटीन की मात्रा 18 से 20 प्रतिशत और ऊर्जा की मात्रा 26 किलो कैलोरी तक रखनी चाहिए। इसके बाद फिनिशर आहार में प्रोटीन की मात्रा 16 से 18 प्रतिशत और ऊर्जा की मात्रा 24 किलो कैलोरी तक होती है।
देश में कुक्कुट पालन व्यवसाय लगातार तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। छोटे गाँव से लेकर महानगरों तक इसकी मांग में लगातार इजाफा जारी है। हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु जैसे राज्यों ने इस क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि कि व्यवस्थित मुर्गी पालन करने पर एक हजार मुर्गी के पालन पर डेढ माह में लगभग एक लाख 55 हजार का व्यय आता है तथा तैयार मुर्गी के विक्रय से लगभग एक लाख 83 हजार की आमदनी होती है। इस प्रकार से 45 से 50 दिन में लगभग 28 हजार का शुद्ध लाभ होता है।