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सिंधिया खेमे में जमीनी नेताओं का नहीं चाटुकारों का है महत्व
By Deshwani | Publish Date: 10/10/2017 11:02:14 AM
सिंधिया खेमे में जमीनी नेताओं का नहीं चाटुकारों का है महत्व

भिण्ड, (हि.स.)। जहां प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की बागडोर ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में आने की राजनीतिक गलियारों में चर्चा है, वहीं निचले जिला स्तर पर कांग्रेस संगठन चुनाव की महज औपचारिकता पूरी करने की प्रक्रिया से कांग्रेसजन संतुष्ट नहीं हैं। सिंधिया के पास उनके महल के आस-पस रहकर जय-जयकार करने वाले नेताओं की भरमार है। लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी ताकत शून्य है, जमीनी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सिर्फ इसलिए तबज्जो नहीं मिल पाती है, क्योंकि वे अपने स्वाभिमान की ऐंठ में चाटुकारिता करने से परहेज करते हैं।
 
बेशक ज्योतिरादित्य सिंधिया को मप्र की कमान मिलने पर वे सशक्त नेताओं की गिनती में आ जाएं, लेकिन वे अपने अचंल में मजबूत कांग्रेस कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करने में नाकाम रहे हैं, यही कारण है कि क्षेत्र में चुने हुए सिंधिया समर्थक जनप्रतिनिधियों की संख्या नगण्य है, उसके लिए कोई और नहीं वल्कि सिंधिया ही स्वयं दोषी हैं। उनके पास धरातल पर कार्य करने वाले मजबूत कार्यकर्ताओं के चयन की दृष्टि ही नहीं है। वे अपने पिता स्व. माधवराव सिंधिया से कुछ हटकर तो हैं, लेकिन महाराज वाला आवरण नहीं उतार पा रहे हैं। भिण्ड जिले में कांग्रेस पार्टी के कुल नौ ब्लाक हैं, जिसके लिए प्रदेश प्रतिनिधियों का चुनाव अभी हाल ही हुए हैं, ये प्रदेश प्रतिनिधि ही प्रदेश अध्यक्ष के लिए मतदान करेंगे और इन्हीं में से प्रदेश पदाधिकारियों का चुनाव होना है, भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में भिण्ड ग्रामीण के लिए ऐसे व्यक्ति को प्रदेश प्रतिनिधि चुना गया है जिसका भिण्ड विधानसभा तो दूर पूरे जिले से कोई वास्ता नहीं है, मूलत: आलमपुर का रहने वाला यह व्यक्ति वर्षों से ग्वालियर रह रहा है। अब तक जिले में जो भी कांग्रेस के आंदोलन या सम्मेलन हुए हों उनमें कभी सक्रियता नहीं रही, लेकिन ग्वालियर में वह सिंधिया महल के पर्सनल स्टाफ का जरूर खासमखास है। उनकी खिदमतदारी में कोई कसर नहीं छोड़ता है। जब-जब सिंधिया ग्वालियर आते हैं तो उसकी उपस्थिति बरावर रहती है। लेकिन क्षेत्र में उसकी एक वार्ड पार्षद बनने की औकात नहीं है, ऐसे व्यक्ति को सिंधिया के स्टाफ की कृपा से भिण्ड विधानसभा क्षेत्र के भिण्ड ग्रामीण से प्रदेश प्रतिनिधि चुनना यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के गाल पर सिंधिया का करारा तमाचा ही है। 
 
भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में सिंधिया का कभी दबदवा नहीं रहा, 84 के चुनाव में जरूर उदयभान सिंह कुशवाह विधायक चुने गए और सिंधिया की कृपा से मंत्री भी बने, भिण्ड विधानसभा क्षेत्र कछवाहघार इलाका है, यहां कछवाहे ठाकुर बहुतायत में हैं, सिंधिया को चाहिए था कि स्थानीय स्तर पर किसी मजबूत कुशवाह ठाकुर को प्रदेश की टीम में शामिल कराते। इस विधानसभा क्षेत्र में वर्षों से काम कर रहे कई कर्मठ कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता भी हैं। जो भिण्ड ग्रामीण का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखते हैं। उनमें से किसी के नाम को लिखना उन्हीं के लिए मुसीबत पैदा करना होगी। लेकिन भिण्ड ग्रामीण क्षेत्र से दो-दो युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और एक वर्तमान में ब्लाक अध्यक्ष भी है। उनका चयन भी प्रदेश प्रतिनिधि के लिए हो सकता था। लेकिन ऐसा न करके उन्होंने अपने दरबार के सिपेहसालार को ही चुनना मुनासिब समझा। जमीनी स्तर पर सिंधिया का यह व्यवहार उन्हें कमजोर बनाता है। उनका क्षेत्र में खुफियातंत्र इतना कमजोर है कि उन्हें कार्यकर्ता की धरातल पर मजबूती की पता नहीं चल पाता। लेकिन सिंधिया की पसंद तो वे हैं जो जितनी ज्यादा उनकी चाटुकारिता या जय-जयकार बोलते हैं ऐसा ही एक नाम और है। जो स्कूली बच्चों की कापी पर सिंधिया का फोटो छपवाकर बटवाने के बाद खूब सुर्खियों में आया। उसने पहले कापी बांटी और खुद ही मीडिया को मैनिज कर विरोधी खबरें सस्ती लोकप्रियता हासिल करने छपवाईं। ऐसे लोगों से सिंधिया को बचना होगा और धरातल से जुड़े लोगों को जोडऩा होगा।
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