जगदलपुर, (हि.स.)। राज्य सरकार ने छह माह में ही अपना नया आदेश जारी किया है, इस आदेश के तहत अब शहर के 48 वार्डों में सफाई व्यवस्था को बेहतर करने के लिए रिक्शा का सहारा लिया जाएगा। सराकरी आदेश के बाद निगम में 95 रिक्शे पहुंच चुके हैं। बताया जा रहा है कि यह रिक्शा वार्डों में उपयोगिता अनुसार भेजा जाएगा। इनकी मॉनिटरिंग महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं जिन्हें हाल ही में वार्डों में सफाई का जिम्मा सौंपा गया है वे देखेंगी।
रिक्शा के इस प्रस्ताव के साथ ही निगम में इस बात को लेकर चर्चा का बाजार गर्म था कि आने वाले समय में ऑटो के परिचालन पर रोक लगाया जा सकता है। इसकी जगह ई- रिक्शा ले सकते हैं। ऐसे में सरकार इंधन की भी बचत का प्रस्ताव रख रही है और वार्डों में सफाई की क्षमता को भी बढ़ावा देने की बात कह रही है। सरकारी प्रस्ताव से दोनों ही दलों के पार्षद खुश नहीं हैं। बताया जा रहा है कि रिक्शा से कचरे का संग्रहण किया जाएगा और फिर शहर के बीच के वार्डों से इस कचरे को जेसीबी द्वारा उठाया करेगा। वर्तमान में ऑटो कचरा डोर टू डोर एकत्रित करता है और इसके साथ ही वार्ड का कचरा भी शहर से बाहर ले जाता है। रिक्शे में उपयोगिता अनुसार कचरे को सेगरिगेशन सेंटर में खाद के उपयोग के लिए भेजने की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूह की होगी। फिलहाल निगम आयुक्त ने सरकारी आदेशों का हवाला दिया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वार्डों में रिक्शा, ऑटो या फिर ई-रिक्शा का संचालन होगा या फिर आने वाले समय में तीनों जनता को सेवा देंगे।
ऑटो चालक की हड़ताल से बवाल
रिक्शे के प्रस्ताव के अमल में आने के साथ ही अपने चार माह के वेतन की मांग को लेकर ऑटो चालक करीब चार दिन पहले हड़ताल पर चले गए थे। ऐसे में शहर के कई प्रमुख वार्ड में ऑटो के नहीं आने से यह बात सामने आ रही थी कि अब ऑटो पर रोक लगा दिया गया है लेकिन ऑटो चालक आश्वासन के बाद काम पर लौटे।
मालूम हो कि 29 ड्राईवर अपने वेतन की मांग कर रहे हैं, जबकि इसमें से 19 ड्राईवरों का भुगतान हो चुका है। महज दस का भुगतान शेष है लेकिन प्लेसमेंट कंपनी इस बात को गोलमोल तौर पर सामने ला रही है। प्लेसमेंट कंपनी ने अब तो ड्राईवरों को यहां तक कह दिया है कि 11 अक्टूबर तक उनका पूर्ण भुगतान कर दिया जाएगा, इसके बाद वे अपने लिए रोजगार तलाश लें।
पहले ही विलोपित किए जा चुके हैं पद
निगम में ड्राईवरों के कुल स्वीकृत पदों को पहले ही विलोपित किया जा चुका है। ऐसे में जब ड्राईवरों की नियुक्ति ही नहीं होगी तो फिर ऑटो को चलाएगा कौन। इससे यह बात सामने आ रही है कि निगम अपने लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर ई-रिक्शा और रिक्शा का रास्ता अपना रही है। महिला स्वसहायता समूह को प्रमोट करने का यह एक प्रयोग है।
भाजपा कर रही सफाया
कांग्रेस पार्षदों से चर्चा में यह बात सामने आई कि छह माह पहले ही नए ऑटो की खरीदी हुई है। अब ऑटो को लेकर यदि सरकारी आदेश का हवाला दिया जाता है और व्यवस्था चरमाराती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। सरकारी पहल पर अमल किए जाने का सीधा नुकसान कांग्रेसी पार्षदों को होगा। पहले ही हमारी संख्या कम है और आने वाले समय में हम जनता के सामने अपनी क्या उपलब्धि गिनाएंगे। महापौर जतीन जायसवाल को चाहिए कि वे इस मामले को लेकर सार्थक पहल करें जिससे की वार्डों की सफाई और बेहतर हो सके। ऑटो वार्डों की सफाई के लिए आवश्यक है।