उमरिया, (हि.स.)। जिले के विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व पार्क विगत एक अक्टूबर को आम लोगों के खुल गया था और इसके खुलने के साथ ही यहां दिखावा भी शुरू हो गया। दरअसल, वन्य प्राणी संरक्षण को लेकर प्रबंधन द्वारा किया जा रहा प्रयास नाकाफी दिख रहा है। बता दें कि एक से सात अक्टूबर तक वन्य प्राणी सुरक्षा एवं संरक्षण सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी के तहत यहां गुपचुप तरीके से जिस तरह पार्क प्रबन्धन वन्य प्राणी की सुरक्षा एवं संरक्षण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम कर रहा है, उसे देखते हुए यह कह पाना मुश्किल है कि कार्यक्रमों के उद्देश्य से ग्रामीण जागरूक होंगे और वन्य प्राणी की सुरक्षा एवं उसके संरक्षण को लेकर उनकी सोच पूर्व की अपेक्षा सकारात्मक होगी।
शनिवार को वन्य प्राणी सुरक्षा एवं संरक्षण सप्ताह का अंतिम दिन है, लेकिन यहां पार्क प्रबन्धन दूसरे कार्यक्रमों की भांति जागरूकता कार्यक्रमों को भी अत्यंत गोपनीय तरीके से कर रहा है, जबकि ज्यादा से ज्यादा वन क्षेत्र से सटे ग्रामीणों को वन्य प्राणियों को लेकर जागरूक करने की जरूरत है जिससे ग्रामीणों में वन्य प्राणी को लेकर प्रेम उमड़े और वह वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं सुरक्षा पर विभाग से अधिक अपनी भूमिका समझे। देखने में आता है कि विभाग पूर्व की भांति चिन्हित विद्यालयों में छात्रों की छोटी से रैली निकालकर उन्हें पारितोषिक आदि देकर इतने बड़े सप्ताह के आयोजनों की इतिश्री कर लेता है, जिससे आंशिक रूप से भी ग्रामीणों में वन्य प्राणियों के संरक्षण की दिशा में नई सोच नहीं दिखती।
ज़रूरी है कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन वृहद रूप से किया जाए, जिससे कार्यक्रमों में वन क्षेत्र से सटे अधिकांश रहवासी क्षेत्र के ग्रामीण सरलता से पहुंच सके एवं कार्यक्रमों में इन ग्रामीणों को वन्य प्राणियों की आवश्यकता एवं उपयोगिता को लेकर विस्तृत रूप से जागरूक किया जाए, साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर ग्रामीणों से सुझाव भी लिए जाए। निश्चित रूप से ऐसा करने पर पार्क में निरन्तर वन्य प्राणियों की हो रही असामयिक मौत के आंकड़ों में कमी आयेगी, वही पार्क क्षेत्र में वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ने के साथ वन्य प्राणियों की अठखेलियाँ और जंगल मे खुले विचरण को देख पर्यटक भी अभिभूत होंगे।
वन्य जीव प्रेमियों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में बाघ सहित कई दूसरे वन्य प्राणी असामयिक मौत के शिकार हुए हैं। इस दौरान जन जागरूकता के अभाव में भी कई वन्य प्राणी कर्रेंट आदि की चपेट में भी काल के गाल में समा गए। वहींस कई ऐसी भी घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई इंसान वन्य प्राणियों के निवाले बन गए और उनकी जान चली गई। वन्य जीव प्रेमियों का मानना है कि अधिकांश मामले जन जागरूकता के अभाव में घटित हुए। वन क्षेत्र से सटे ग्रामीणों को वन्य प्राणी की सुरक्षा कर अपने को सुरक्षित रखने का पाठ इन कार्यक्रमों में सही तरीके से बताया जाता तो शायद ऐसी घटनाओं की बार-बार हो रही पुनरावृत्ति से बचा जा सकता है।