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कांगड़ा के बाद कांग्रेस के निशाने पर मण्डी जिला
By Deshwani | Publish Date: 7/10/2017 11:41:59 AM
कांगड़ा के बाद कांग्रेस के निशाने पर मण्डी जिला

शिमला, (हि.स.)। प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक तौर पर कांगड़ा और मण्डी जिला सबसे बड़े हैं। कांगड़ा जिला आजादी से पहले ब्रिटिश भारत का सबसे बड़ा जिला रहा है। हिमाचल में कांगड़ा जिला की राजनीतिक ताकत यहां से 15 विधानसभा सीटों का होना है। कांगड़ा के बाद प्रदेश में सबसे अधिक सीटें मण्डी जिला की हैं। मण्डी जिला में कुल 10 विधानसभा क्षेत्र हैं।
हिमाचल विधानसभा में कुल 68 विधानसभा क्षेत्र हैं। जिनमें से अकेले कांगड़ा और मण्डी जिला के हिस्से में 25 विधानसभा क्षेत्र हैं। कांगड़ा जिला में तो कहावत है कि जो कांगड़ा में जीतेगा वही शिमला में सरकार बनाएगा। अब तक ऐसा ही होता आया है।
2012 में हुई विधानसभा चुनावों में कांगड़ा जिला में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी। भाजपा को 15 में से मात्र तीन सीटें ही मिली थी। जबकि भाजपा ने चुनावों में सम्मानजन प्रदर्शन करते हुए 26 सीटें जीती थीं। राजनीतिक पण्डितों का कहना है कि अगर भाजपा कांगड़ा जिला में अच्छा प्रदर्शन करती तो एक बार फिर 2012 में उसे सत्ता मिल सकती थी।
वहीं, पिछले विधानसभा चुनावों में 36 सीटें जीत कर सत्ता में आई कांग्रेस ने कांगड़ा जिला की 15 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं मण्डी जिला कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है। यहां पर कांग्रेस का उम्मीद के अनुरूप जीत हासिल नहीं हुई थी। दस सीटों वाले मण्डी जिला में 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बराबरी पर था। दोनों ने जिले की पांच-पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं वीरभद्र सिंह भी मण्डी से सांसद रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में उनकी पत्नी को मण्डी लोकसभा क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस ने बीते साल सरकार के चार साल पूरा होने का जश्न धर्मशाला में मनाया था। उस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने धर्मशाला में एक रैली को संबोधित किया था। अब कांग्रेस ने राहुल गांधी की रैली मण्डी जिला में करवाने का फैसला लिया है। कांग्रेस का यह फोकस मण्डी संसदीय क्षेत्र पर है।
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