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एमपीपीएससी की परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी
By Deshwani | Publish Date: 3/10/2017 3:24:16 PM
एमपीपीएससी की परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी

भोपाल, (हि.स.)। राज्य लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में जैन समाज के 24 से ज्यादा युवाओं के चयन के संबंध में आयोग ने स्थिति स्पष्ट की है। आयोग के मुताबिक प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया पूर्णत: पारदर्शी होती है, जिसमें परीक्षा नियंत्रक या अन्य अधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
आयोग के अनुसार राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए परीक्षा केन्द्र की मांग अभ्यर्थी द्वारा अपनी सुविधा के अनुसार एमपी ऑनलाइन से ऑनलाइन आवेदन-पत्र की पूर्ति के समय की जाती है। इस मांग के आधार पर उस शहर में उपलब्ध परीक्षा केन्द्रों पर कम्प्यूटर आधारित रेंडम पद्धति से रोल नम्बर तथा परीक्षा केन्द्र का आवंटन भी ऑनलाइन पोर्टल से किया जाता है। परीक्षा केन्द्र के आवंटन और प्रवेश-पत्र की पूर्ण प्रक्रिया में आयोग के परीक्षा नियंत्रक या अधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
मुख्य परीक्षा प्रदेश के चार शहर इन्दौर, भोपाल, ग्वालियर तथा जबलपुर में संभागायुक्त के नियंत्रण में आयोजित की जाती है। इसमें भी आयोग कार्यालय अथवा नियंत्रक का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। आयोग औचक निरीक्षण करता है। पर्यवेक्षकों की नियुक्ति स्वतंत्र मानिटरिंग के लिये प्रत्येक केन्द्र पर की जाती है। साथ ही वरिष्ठतम अधिकारियों यथा सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और जज आदि को केन्द्रीय पर्यवेक्षक बनाया जाता है जो परीक्षा के सभी दिवस परीक्षा केन्द्र पर उपस्थित रहकर निरीक्षण करते हैं और पालन प्रतिवेदन भेजते हैं। इस तरह तीन स्तरीय मानिटरिंग कर लिखित प्रतिवेदन प्राप्त कर परीक्षा की शुचिता सुनिश्चित की जाती है।
आयोग के अनुसार प्रारंभिक परीक्षा केन्द्र समस्त 51 जिला मुख्यालय में बनाए जाते हैं। आगर मालवा शहर में दो केन्द्र बनाए गए थे। (01) शासकीय नेहरू पीजी महाविद्यालय, आगर मालवा एवं (02) एक्सीलेंस हा.से. स्कूल, आगर मालवा। दोनों परीक्षा केन्द्रों पर कुल 624 अभ्यर्थी थे।
इन कुल 624 अभ्यर्थियों में से 58 जैन समुदाय के अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा में उपस्थित थे, जिसमें से 29 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए तथा 29 अभ्यर्थी अनुत्तीर्ण हुए। आगर मालवा से कुल 47 अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। प्रारंभिक परीक्षा मे उत्तीण 47 अभ्यर्थियों में से मुख्य परीक्षा में 23 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें से 18 जैन सरनेम के हैं। प्रदेश में मुख्य परीक्षा में 1528 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं, जिनमें 60 जैन सरनेम के अभ्यर्थी हैं।
प्रारंभिक परीक्षा के संचालन के समय परीक्षा नियंत्रक आरआर कान्हेरे पदस्थ थे। उस समय मदनलाल जैन (गोखरू) उप नियंत्रक के पद पर पदस्थ थे। उनका परीक्षा संचालन कार्य से सीधा कोई संबंध नहीं था। अन्य परीक्षा नियंत्रक दिनेश जैन केवल मूल्यांकन कार्य एवं परिणाम तैयार करने का कार्य कर रहे हैं। परीक्षा संचालन, केन्द्र आवंटन, रोल नम्बर आवंटन आदि कार्य इनके द्वारा नहीं किए जाते हैं। अत: इन कार्यों में दिनेश जैन एवं मदनलाल जैन की कोई प्रत्यक्ष/परोक्ष भूमिका नहीं रही है।
प्रारंभिक परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की परीक्षा होकर स्क्रीनिंग परीक्षा है। इसके अंक मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़े जाते हैं। मुख्य परीक्षा वर्णनात्मक प्रकार की होकर 06 प्रश्न-पत्रों की 06 दिवस में संचालित होती है। इस परीक्षा में किसी भी तरह की अनियमितता की संभावना प्रकाश में नहीं आयी थी। आयोग द्वारा नियुक्त केन्द्रीय पर्यवेक्षक सहित किसी भी अन्य निरीक्षण दल/उड़नदस्ता दल द्वारा परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा संचालन के संबंध में अनियमितता की कोई शिकायत प्राप्त प्रतिवेदनों में नहीं है।
 
परीक्षा संबंधी मूल्यांकन कार्य पूर्ण गोपनीयता, निष्पक्षता तथा पारदर्शिता से आयोग के निर्देशानुसार सम्पन्न किया जाता है। प्रारंभिक परीक्षा के ओएमआर शीट्स कलेक्टर के प्रतिनिधि के माध्यम से अत्यंत सुरक्षा के साथ आयोग कार्यालय में सीलबंद लिफाफों में पहुंचायी जाती है। सभी केन्द्रों से प्राप्त ओएमआर शीट्स का स्केनिंग कार्य एसपीए (बाहरी एजेंसी) के माध्यम से करवाकर आयोग की वेबसाइट पर डाली जाकर अभ्यर्थी को यह सुविधा दी गई है कि वे अपनी ओएमआर शीट डाउनलोड कर सकें। इसके बाद परिणाम तैयार करने की कार्यवाही एसपीए के माध्यम से आयोग कार्यालय में ही की जाती है। परिणाम तैयार करते समय जाति, वर्ग, शहर आदि की जानकारी या अभ्यर्थी के निवास आदि की कोई जानकारी नहीं देखी जाती है। परिणाम रोल नम्बर के बढ़ते क्रम में जारी किया जाता है।
राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का मूल्यांकन कार्य करने के पूर्व प्रत्येक उत्तर पुस्तिका पर रोल नम्बर का फ्लेप हटाया जाकर रेण्डम कोड नं. विशेषज्ञों द्वारा डाला जाता है। इसके बाद रेण्डम आधार पर विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन कार्य संपादित किया जाता है। प्रत्येक अभ्यर्थी के छह प्रश्न-पत्रों के 09 विषयों की उत्तर पुस्तिका नौ अलग-अलग विषय-विशेषज्ञों द्वारा मुख्य परीक्षक के नियंत्रण में मूल्यांकित की जाती है। अलग-अलग विषयवार अंक एसपीए को प्रदाय किए जाते हैं। इस समय तक किसी भी अभ्यर्थी को प्राप्त अंकों की कोई जानकारी किसी को नहीं होती है।
 
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