मुर्शिदाबाद, (हि.स.)। इस्लाम की ऐतिहासिक पर्व मोहर्रम मुर्शिदाबाद जिले के लालबाग में रविवार को सम्प्रीति वार्ता तथा उदासीनता के साथ मनाई गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि मोहर्रम मातम यानि शोक मनाने का पर्व है। यह इस्लाम धर्म की पहला महीना है। इसी महीने के 10 तारीख यानि आशुरार के दिन एजीद वाहिनी के हाथों हजरत मुहम्मद इमाम हुसैन की मौत हुई थी। इमाम हुसैन के मौत के बाद से ही देश शोकाकुल हो गया। मोहर्रम महीने की शुरुआत से ही लालबाग शहर के शिया सम्प्रदाय कई तरह से मोहर्रम मनाते हैं। रमजान महीने की तरह इस महीने में भी शिया सम्प्रदाय व्रत का पालन करते हैं। ईस्लाम धर्म के अनुसार पूरे महीने काले कपड़े पहनते तथा शाकाहीरी भोजन खाने का रिवाज है। महिलाएं साधारण रूप में रहती है। वे गहने नहीं पहनती हैं। इसके अलावा इबादत के लिए अधिक से अधिक समय बिताने का रिवाज है।
इस महीने मस्जिदों में विशेष प्रकार की प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है। जिसमें कुरान पाठ, दुआएं एवं दरुदपाठ किया जाता है तथा रोजा रखा जाता है। मोहर्रम के दिन यानि शोक को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय ताजिया निकालते हैं। रविवार को जिले के लालगवानगोला, जियागंज, नवग्राम में विभिन्न तरह की ताजिया निकाली गई तथा अखाड़े का प्रदर्शन करके मुहम्मद हुसैन को याद किया गया। इस अवसर पर स्थानीय हिन्दू तथा मुस्लिम सभी लोग उपस्थित रहे।
इस त्योहार के बारे में स्थानीय संजय एवं सन्तोष का कहना है कि मोहर्रम के इस शोक के दिन को हमलोग अलग नजरिए से नहीं देखते। हमलोग विभिन्न तरह से मातम करके शोक व्यक्त करते है। इससे हमलोगों को शान्ति महसूस होती है। नवाब वंशज सैयद रेजा अली मिर्जा ने कहा कि शोक के इस महीने को हमारे इलाके में जिस तरह भाईचारे के साथ मनाई जाती है वह तारिफे काबिल है। इसे हमलोग पारंपरिक रूप से मनाते हैं। यह ठीक उसी तरह इलाके में पालित होती है जिस तरह दुर्गापूजा।
मोहर्रम के अवसर पर नवाबी परिवार की ओर से –पांजा, ताबूत, दुलदुल (घोड़ा का नाम) सहगे कर्बला नामक जुलूस निकाला गया। दुलदुल को बेहतर ढंग से सजाया गया। जो जुलूस में सबसे ऊंचा तथा आगे हुसैनी पोशाक पहने चल रहा था। इसके साथ ही मातमी आवाज में –हुसैन, हुसैन की आवाज लगाई जा रही थी। इस त्योहार के मामले में स्थानीय प्रवीण मण्डल, टूम्पा राय ने कहा
“मोहर्रम का अर्थ शोक का महीना है। इस महीने के प्रत्येक दिन को मुस्लिम समुदाय शोक के साथ मनाते हैं। हमलोग भी इस त्योहार में शामिल होते हैं। लालबाग के युवा वकील देवांजन मजुमदार ने कहा कि शहर के भीतर इस तरह के प्रदर्शन दूर-दूर तक मनाया जाता है। जो सभी जाति के लिए एकता का प्रतीक है।