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कांग्रेस के गढ़ रहे शिमला संसदीय क्षेत्र में भाजपा की सेंध
By Deshwani | Publish Date: 1/10/2017 12:11:16 PM
कांग्रेस के गढ़ रहे शिमला संसदीय क्षेत्र में भाजपा की सेंध

शिमला, (हि.स.)। प्रदेश की राजधानी शिमला संसदीय क्षेत्र हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है। हिमाचल में लोकसभा की चार सीटें हैं। जबकि प्रदेश विधानसभा की 68 सीटें है। हर संसदीय क्षेत्र को बराबर 17 सीटों में बांटा गया है। इसी प्रकार शिमला संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की कुल 17 सीटें आती हैं।
लोकसभा की दृष्टि से देखें तो शिमला संसदीय सीट अधिकतम कांग्रेस के ही कब्जे में रही है। जबकि भाजपा को पास यह सीट 2009, 2014 और 1999 में आई थी। इससे पहले यह सीट लगभग कांग्रेस के ही कब्जे में रही। विधानसभा की दृष्टि से शिमला संसदीय क्षेत्र में अधिकतर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है, लेकिन 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इसमें जबरदस्त सेंधमारी की है। जोकि 2012 के विधानसभा चुनावों में जारी रही है।
शिमला संसदीय क्षेत्र में प्रदेश के तीन जिलों के 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जिसमें शिमला जिला के सात, सोलन और सिरमौर जिला के पांच-पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री अभी तक शिमला संसदीय क्षेत्र से ही बने हैं। यशवंत सिंह परमार का संबंध सिरमौर और रामलाल ठाकुर व वीरभद्र सिंह का संबंध शिमला जिला से है। अभी तक कांग्रेस की तरफ से यही तीन मुख्यमंत्री हुए हैं। शिमला जिला में अभी तक कांग्रेस का ही कब्जा है। भाजपा यहां पर अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाई है। वर्तमान में शिमला संसदीय क्षेत्र में सात सीटों में से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है। जबकि शिमला शहरी पर भाजपा और चौपाल सीट निर्दलीय के पास है। विधानसभा चुनावों में भाजपा का शिमला जिला में प्रदर्शन औसतन ही रहता है। भाजपा यहां पर अभी तक मात्र अधिकतम दो ही सीटों पर कब्जा करने में सफल रही है। इसलिए शिमला जिला कांग्रसे के लिए अधिक सुरक्षित माना जाता है।
वहीं सोलन और सिरमौर जिले जो हिमाचल की राजनीति में कांग्रेस के परंपरागत गढ़ रहे हैं। इन दोनों जिलों में भाजपा ने अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज करवाई है। 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में सोलन जिला की सभी पांचों सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। कांग्रेस शून्य पर पहुंच गई थी। 2012 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने सोलन में तीन सीटों पर कब्जा करने में सफलता हासिल की थी। 2012 में कांग्रेस को सिर्फ सोलन और दून विधानसभा क्षेत्रों में ही सफलता मिली थी।
कांग्रेस के एक और परंपरागत गढ़ रहे सिरमौर जिला में भी भाजपा ने अपनी ताकत का एहसास करवाया है। 2007 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के जिला में मात्र एक ही सीट मिली थी। जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में स्थिति बिलकुल उल्टी हो गई। कांग्रेस को मात्र एक ही सीट हासिल हुई। जबकि भाजपा तीन सीटें जीतने में सफल रही है। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई। 
शिमला संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने तीन जिलों में से दो पर अपना दबदवा खो दिया है। अब मात्र शिमला जिला पर ही कांग्रेस का कब्जा बरकारा है। जबकि सोलन और सिरमौर में भाजपा ने अपने झंडे गाड़ दिए हैं। इन जिलों में कांग्रेस को चुनौती मिलना स्भाविक है। जबकि शिमला जिला में भाजपा को कांग्रेस की चुनौती मिलना तय है।
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