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भगवान बुद्ध की शिक्षाएं समय की कसौटी पर उतरी खरी: राज्यपाल
By Deshwani | Publish Date: 29/9/2017 4:50:14 PM
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं समय की कसौटी पर उतरी खरी: राज्यपाल

 काशीपुर, (हि.स.)। प्रदेश के राज्यपाल कृष्णकांत पाल ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं और ये वर्तमान समय में पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाओं पर चलकर ही वैश्विक शांति व बंधुत्व सम्भव है।

शुक्रवार को काशीपुर में इंटरनेशनल बुद्धा एजुकेशन इंस्टीट्यूट व यूथ एक्शन कमेटी उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल कृष्ण पाल ने शिकरत की। 
इस मौके पर राज्यपाल ने ‘दक्षिण पूर्वी एशियाई संस्कृति पर बौद्ध धर्म की प्रतिच्छाया’ विषय पर आयोजित सम्मेलन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि भगवान बुद्ध ने दुख को जीवन का मूलभूत तथ्य माना था। उन्होंने कहा कि शांति, प्रेम व बंधुत्व का संदेश, आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना शताब्दियों पहले था। भगवान बुद्ध का करुणामय प्रेम का संदेश, सदियों से लोगों व समुदायों का पथ प्रदर्शन करता आया है। इस दुख को दूर करने के लिए उन्होंने संसार को अष्टांगिक मार्ग का सिद्धांत दिया। सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति व सम्यक समाधि को जीवन में अपनाना होगा। भगवान बुद्ध ने नैतिक मूल्यों, मानवता, बुद्धिमता व प्रेममय करुणा पर बल दिया है। 
राज्यपाल ने कहा कि काशीपुर क्षेत्र प्राचीन समय से ही महात्मा बुद्ध से जुड़ा है, महात्मा बुद्ध के संदेश के अवशेष यहां अब भी मिलते हैं। इस सम्मेलन से आज जो चीजे निकलकर आयेंगी, उसका संदेश पूरे विश्व में जायेगा। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं, समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं। ध्यान, बौद्धिक परम्परा का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने कहा कि ग्लोबलाइजेशन के वर्तमान दौर में एक-दूसरे से अलग नहीं रहा जा सकता है। ऐसे में दया, प्रेम व शांति का बुद्ध का संदेश अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इसमें कोई शंका नहीं की जा सकती है कि मानव सभ्यता पर बौद्ध धर्म का बहुत गहरा प्रभाव रहा है। बेहतर दुनिया बनाने के लिए भगवान बुद्ध के सत्य, शांति व बंधुत्व की शिक्षाओं को पूरी दुनिया में पहुंचाना होगा। सम्मेलन का उद्घाटन बुद्ध पुजा के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया। 
राज्यपाल द्वारा दलाईलामा के प्रतिनिधि दमदुल दोरजी को सिम्बल ऑफ पीस अवार्ड, डॉ के डोरा मालकी दास (श्रीलंका) भिक्षु विनीकेबल ज्ञान रत्ना महाथेरा(बाग्लादेश) भिक्षु बोधीजना(नेपाल), रत्ना यशवंत (भारत) को अवार्ड दिये गये। इंटरनेशनल बुद्धा एजुकेशन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष एल अश्वघोष महाथेरा ने कहा विश्व बौद्ध सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में एक ऐसे शिक्षा केन्द्र की स्थापना करना है जिसमें भारत की प्राचीन समेत विश्व की सभी भाषाएं पढाई जा सकें। उन्होंने कहा कि बुद्ध द्वारा जो शिक्षा दी गई है उससे आतंकवाद व भ्रष्टाचार को भी दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जहां बौद्ध रहते हैं, उसे बुद्धा सर्किट बनाने की कोशिश की जा रही है। इंटरनेशनल बुद्धा एजुकेशन इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष एचपी केन द्वारा स्वागत भाषण किया गया। सम्मेलन में थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, कोरिया, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, इटली आदि के बौद्ध प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
 
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