लखनऊ, (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा बुधवार को घोषित ’नयी मेट्रो रेल नीति’ को जनविरोधी बताकर इसकी तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इससे उत्तर प्रदेश में ख़ासकर कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद आदि में मेट्रो रेल की स्थापना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव हो गयी है। साथ ही, लखनऊ मेट्रो के सम्पूर्ण विस्तार पर भी संकट के बादल छा गये हैं।
मायावती ने कहा कि वास्तव में देश में बदतर जन परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने की कोशिश के तहत ही मेट्रो रेल परियोजना दिल्ली में सन् 2002 से शुरू की गयी थी, जिसमें केन्द्र सरकार आर्थिक सहयोग करती थी। मोदी सरकार ने जनहित के इस काम से मुंह मोड़कर अपने आपको इससे अलग करने का फैसला किया है।
मेट्रो का विस्तार रूकने की आशंका
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नई मेट्रो नीति मामले में सरकारी जिम्मेदारी से हाथ खींचकर जो नई नीति तैयार की है उसमें बडे़-बडे़ पूंजीपतियों व धन्नासेठों की भागीदारी को लाजिमी बना दिया गया है। इससे मेट्रो का विस्तार रूक जाने की आशंका है क्योंकि निजी क्षेत्र की कम्पनियां कम आमदनी वाली परियोजनाओं में निवेश नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह देश में चलने वाली जनहित एवं जनकल्याण की विभिन्न योजनाओं की तरह मेट्रो का विस्तार भी आगे संकट में पड़ गया है।
जिम्मेदारियों से भाग रही है केन्द्र सरकार
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि मोदी सरकार का इस प्रकार का जनविरोधी रवैया अति-निन्दनीय है। इससे राज्यों का विकास खासकर शहरी परिवहन विकास बुरी तरह से प्रभावित होगा। केन्द्र सरकार धीरे-धीरे करके कल्याणकारी सरकार होने की तमाम जिम्मेदारियों से भागती चली जा रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार एक तरफ गांवों में रोजगार के अवसर पैदा करने वाली ’मनरेगा योजना’ व शिक्षा के अधिकार के तहत केन्द्रीय अंशदान देने आदि जनहित के कार्यों में जबर्दस्त कटौती करती जा रही है तो दूसरी तरफ हर मामले में केन्द्रीय उपकर आदि लगाकर राज्यों को कंगाल बनाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे सरकार का मकसद हर योजना में प्रधानमंत्री का नाम जुड़ा होना है, जिससे हर तरफ विज्ञापनों में केवल उनकी ही वाहवाही होती रहे।
कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ विश्वासघात
इसके साथ ही मायावती ने किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने केवल एक लाख तक की ही फसल ऋण माफी की शुरुआत करने को ’’हर कदम किसानों के साथ विश्वासघात’’ की संज्ञा देते हुये कहा कि वास्तव में यह भाजपा के शीर्ष नेताओं की चुनावी घोषणाओं व उस समय जारी ’लोक कल्याण संकल्प पत्र’ दोनों का ही उपहास है। उन्होंने कहा कि यह वायदों से मुकरना है।