जम्मू, (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि अलगाववादी नेताओं को अनुच्छेद 35 ए के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वे भारत के संविधान में विश्वास नहीं करते।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने से केवल कश्मीर घाटी पर ही नहीं, बल्कि जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। लोगों को न केवल घाटी में बल्कि जम्मू और लद्दाख में भी नौकरी और छात्रवृत्ति से हाथ धोना पड़ेगा।
उन्होंने आगे कहा कि यदि अनुच्छेद के साथ छेड़छाड़ की गई है, तो आप जिस भी कार्यालय में जाओगे वहां पर आपकी भाषा जानने वाला कोई नहीं होगा क्योंकि बाहरी लोग विभिन्न पदों पर आसीन हो जायेंगे। उमर ने कहा कि यह एक मिथक है कि अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति के कारण राज्य में निवेश नहीं आ रहा है।
उन्होंने कहा कि हम देश के सबसे उत्तरी अंत में स्थित एक छोटा राज्य हैं। जम्मू-कश्मीर में एक उत्पादक के लिए चेन्नई में अपने उत्पाद बेचना कठिन है। उन्होंने तर्क दिया कि हकीकत यह है कि हालात के कारण निवेश नहीं आ रहा है न कि अनुच्छेद 35 ए के कारण। एक भारत और एक देश के विचार का विरोध करने संबंधी पूछे गए सवाल का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि हमने मुद्रा, संचार, रक्षा और विदेशी मामलों के चार विषयों पर भारत के संघ को स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि हम एक भारत और एक देश के विचार का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के बाहर शादी करने वाली महिलाओं के अनुच्छेद के कारण संपत्ति के अधिकार खो देने संबंधी प्रचार गलत है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर की एक महिला के बाहरी व्यक्ति से शादी करने के बाद संपत्ति खरीदने वाली महिलाओं के पक्ष में फैसला लेने के बाद मामला सुलझ गया है। उन्होंने कहा, कि मेरी बहनें जिनकी शादी राज्य के बाहर हुई है वो राज्य में उसी तरह से संपत्ति ले सकती हैं जिस तरह से मैं ले सकता हूं।