लखनऊ, (हि.स.)। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) प्रशासन अभी ट्रॉमा सेंटर में हुए अग्निकांड के बाद आई विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिर्पोट का अध्ययन कर रहा है। केजीएमयू प्रशासन सोमवार को एक बैठक कर सकता है, जिसमें विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिर्पोट के आधार अग्निकांड के दोषियों के नाम पर चर्चा होगी।
विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिर्पोट के अनुसार केजीएमयू में ट्रॉमा सेंटर के दूसरे तल पर एक फ्रिज रखा था, जिसमें शॉर्ट सर्किट से आग लगी। फ्रिज तक आने वाले तारों को दीवार के अंदर से निकाला गया था और सभी तार आपस में चिपके हुए थे।
केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट के अनुसार विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिर्पोट पर केजीएमयू प्रशासन बहुत जल्द दोषियों के विरुद्ध एक्शन ले सकता है। विश्वविद्यालय की अपनी गरिमा है और यहां का प्रशासन एक बैठक कर उसमें निर्णय लेगा।
वहीं केजीएमयू के रजिस्ट्रार आरके राय के अनुसार जिला प्रशासन की ओर से विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिपोर्ट भेजी गई है। उक्त जानकारी कुलपति महोदय को दी गई है। निदेशालय की रिर्पोट का विश्वविद्यालय प्रशासन अध्ययन करेगा और इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
जानकारी हो कि बीते 15 जुलाई को लखनऊ में केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में किसी कारण से भीषण आग लगी और मरीजों की शिफ्टिंग के दौरान 12 मरीजों की मौत हो गई। मामले की जांच कमिश्नर को दी गई। जब डीएम ने जांच रिर्पोट देते हुए केजीएमयू प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया और विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई।
इसी क्रम में केजीएमयू प्रशासन ने अपनी जांच शुरू कर दी और इसमें जिला प्रशासन की मदद मांगी। कमिश्नर अनिल कुमार ने समूचे प्रकरण की जांच के लिए विद्युत सुरक्षा निदेशालय को निर्देश दिया और 10 अगस्त को निदेशालय की रिर्पोट आई तो खुलासा हुआ कि नियमों का पालन करते हुए इस अग्निकांड को रोका जा सकता था। ट्रॉमा सेंटर के दूसरे तल पर बिजली लोड का डिस्ट्रीब्यूशन नियमानुसार नहीं किया गया। सर्किट्स में लगे एमसीबी की क्षमता अधिक थी, जिसके कारण शार्ट सर्किट होने के बावजूद एमसीबी ट्रिप नहीं हुई। इसके कारण ही इतनी बड़ी आग लगने की घटना हुई।