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गणेश चतुर्थी पर गणपति दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़
By Deshwani | Publish Date: 11/8/2017 12:43:35 PM
गणेश चतुर्थी पर गणपति दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़

वाराणसी, (हि.स.)। काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी शुक्रवार को उनके पुत्र प्रथम पूज्य विध्नविनाशक भगवान गणेश की आराधना में लीन रही। अवसर रहा भाद्र कृष्ण चतुर्थी को संकष्टी (बहुला) गणेश चतुर्थी व्रत का। बड़ा गणेश लोहटिया स्थित बड़ा गणेश दरबार सहित नगर के सभी गणेश मंदिरों में श्रद्धालुओं खासकर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। 
पुत्र-पौत्रादि की दीर्घायु के साथ वंशवेल की प्राप्ति के लिए व्रती महिलाएं गजानन के वाहन मूषक के कान में भी अपना दुख-दर्द बता अपनी बात गजानन तक पहुंचाने की गुहार लगाती रही। व्रती महिलाएं भगवान गणेश का विधि विधान से पूजन अर्चन के बाद रात 9:06 बजे चंद्रोदय होने पर चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगी। 
ज्योतिषाचार्य पं. राजकिशोर पांडेय ने बताया कि संकष्टी चतुर्थी व्रत चंद्रमा के उदय में व्याप्त चतुर्थी में करने के पीछे कारण यह है कि भाद्र कृष्ण चौथ में चंद्रमा का उदय होने पर विघ्न विनाशक गणेश जी के साथ चंद्र पूजन व अ‌र्घ्य देने का भी विधान है। पर्व पर गणेश जी का पंचोपचार पूजन व चंद्रमा का पूजन कर गणेश जी को नैवेद्य में लड्डू, दुर्वा, काला तिल, गुड़, ऋतु फल इत्यादि समर्पित करना चाहिए। चंद्रोदय होने पर यथा विधि चंद्रमा पूजन, क्षीर सागर आदि मंत्रों से अ‌र्घ्यदान करना चाहिए। रोहिणी सहित चंद्रमा को भी नमस्कार करना चाहिए। ऐसा करने से व्रतियों की सभी मनोकामना पूरी होती है। पुत्र-पौत्रादि की दीर्घायु के साथ पुत्रादि का सुख भी प्राप्त होती है।
 
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