अब सरकारी अस्पतालों पर मिलेंगी सस्ती जेनेरिक दवाएं, केन्द्र और राज्य के बीच हुआ करार
लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में अब सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के बीच जन औषधि केन्द्र खोलने का करार हो गया है। गुरुवार को राजधानी स्थित लालबहादुर शास्त्री भवन में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह की मौजूदगी में इससे सम्बधित वेबसाइट का भी शुभारम्भ किया गया।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंदाविया ने बताया कि प्रदेश में 303 निजी जन औषधि केंद्र चल रहे हैं, जिनमें 600 जेनेरिक दवाएं मिल रही हैं। इस करार के साथ सरकारी अस्पतालों में भी जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे। साथ ही जेनेरिक दवाओं की संख्या को बढ़ाकर एक हजार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का मानना है कि दवा के अभाव में किसी गरीब की मौत न हो। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि यह जनऔषधि केन्द्र सरकारी माध्यम से ही चले। इसे अगर कोई प्राइवेट एनजीओ या फर्मासिस्ट भी लेना चाहे तो वह केन्द्र खोल सकता है। इसमें सरकार अनुदान भी देगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि गांवों में ज्यादा से ज्यादा जगहों पर यह केन्द्र खुलें जिससे गंभीर बीमारियों और रोजाना प्रयोग में आने वाली दवाएं लोगों को सस्ती दर मिल सकें। अभी राज्य सरकार शुरू में 1000 केन्द्र खोल रही है। अगर प्रदेश सरकार इससे ज्यादा केंद्र खोलना चाहेगी तो केन्द्र सरकार पूरी मदद करेगी। अभी इसके अर्न्तगत 600 से अधिक दवाओं को शामिल किया गया है। आने वाले समय में एक हजार प्रकार की दवाएं इन्हीं केन्द्रों से मिलेंगी। इन केन्द्रों पर सामान्य जगह से लगभग 50 प्रतिशत सस्ते दर पर दवाएं उपलब्ध होंगी। जनऔषधि केन्द्र में दवाएं गुणवत्तापरक होंगी।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि इसके लिए अभी फिलहाल 500 जगह चिन्हित की जा चुकी हैं। एक हजार केन्द्र खोलने का लक्ष्य है और उस ओर हम बढ़ रहे हैं। इसमें कैंसर, शुगर, ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों से निजात दिलाने वाली दवाएं बहुत सस्ते दर पर मिलेंगी।
उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्र सरकारी अस्पतालों में खोलने के लिए उन्हें नियमों में बदलाव करना पड़ा। अभी तक सरकारी अस्पतालों में कोई भी कमर्शियल एक्टिविटी पूरी तरह से प्रतिबंधित थी।