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अखिलेश सरकार ने ’उदय’ योजना में किया घोटाला, यूपीपीसीएल को 600 करोड़ का नुकसान !
By Deshwani | Publish Date: 9/8/2017 4:17:48 PM
अखिलेश सरकार ने ’उदय’ योजना में किया घोटाला, यूपीपीसीएल को 600 करोड़ का नुकसान !

लखनऊ, (हि.स.)। उ.प्र. की पिछली अखिलेश यादव की सरकार भ्रष्टाचार के एक और अन्य मामले में आरोपों से घिरती नजर आ रही है। इसमें अखिलेश सरकार पर केन्द्र की ’उदय’ योजना के तहत लाये गए 10000 करोड़ के बांड्स के टेंडर में घोटाला कर यूपीपीसीएल को 600 करोड़ का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले की जांच कराने और दोषियों को दंडित करने की मांग की गई है।
राज्यों की विद्युत वितरण कंपनियों को लम्बे समय से चले आ रहे घाटों से उबारने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने साल 2015 के नवम्बर महीने में एक नीतिगत निर्णय लेते हुए ’उज्जवल डिस्कोम एश्योरेंस योजना’ (उदय) की शुरुआत की। उ.प्र. सरकार ने साल 2016 के जनवरी महीने में केन्द्र सरकार के साथ इस योजना का एमओयू साइन किया। उदय योजना के तहत विद्युत वितरण कम्पनी का 75 प्रतिशत कर्जा राज्य सरकार द्वारा लिया जाना था और अवशेष 25 प्रतिशत कर्जे को राज्य सरकार के गारंटीशुदा बांड्स द्वारा रिप्लेस किया जाना था।
इस मामले को उठाने और शिकायत करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा के मुताबिक उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने बीते साल 10 फरवरी को 13,300 करोड़ रुपयों के बांड्स के लिए टेंडर प्रकाशित किया लेकिन टेंडर में शर्तें स्पष्ट नहीं होने के कारण किसी भी बैंक या कम्पनी ने बिड नहीं डाली। इसके बाद ऊर्जा विभाग और यूपीपीसीएल के अधिकारियों ने अपने चहेतों को टेंडर देने के लिए अन्य प्रतिभागियों को भ्रम की स्थिति में रखने के लिए टेंडर को 7 से 8 बार बदल-बदल कर जारी किया। अंत में बीते साल 3 अगस्त को 10000 करोड़ के बॉन्ड्स के लिए टेंडर जारी किया गया। आरोप है कि यूपीपीसीएल ने इस टेंडर में सरकारी उपक्रमों द्वारा अपनाई जाने वाली मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।
अनेक वित्तीय आधार लेते हुए संजय ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि बांड्स जारी करने में राज्य सरकार पर आने वाले खर्चों के निर्धारण में अहम भूमिका निभाने वाली शर्तों का विवरण टेंडर में नहीं दिया गया। एक्सिस बैंक लिमिटेड के साथ ट्रस्ट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर प्राइवेट लिमिटेड के कंसोर्टियम को बैक डोर से टेंडर की शर्तें बताईं गईं। इसके कारण एक मात्र इसी कंसोर्टियम ने बिड डाली और बाद में इस कंसोर्टियम की सेवाएं मानक से ऊंची दर पर लेकर सरकारी खजाने को 600 करोड़ की चपत लगाई गई।
कंसोर्टियम द्वारा टेंडर की शर्तों का अनुपालन नहीं करने पर भी काम कराते रहने के आधार पर संजय ने राज्य सरकार और कंसोर्टियम पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। बिडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य सरकार द्वारा इन बांड्स को भारतीय रिज़र्व बैंक की गारन्टी दिलाने के आधार पर संजय ने इस मिलीभगत में तत्कालीन अखिलेश सरकार की कैबिनेट का हाथ होने की आशंका व्यक्त करते हुए मामले की सीबीआई जांच कराने की भी मांग की है। 
संजय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस साल जारी होने वाले 10000 करोड़ रुपयों के बांड्स के टेंडर जारी करने में पारदर्शिता और जबाबदेही रखने के साथ साथ मानक प्रक्रियाओं का पूर्ण अनुपालन किया जाए। मांगे न माने जाने पर मामले को हाई कोर्ट ले जाने की बात भी संजय ने कही है।
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