इलाहाबाद, (हि.स.)। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय पर बैठक करते हुए प्रतियोगियों ने चार अगस्त को 11 बजे जिलाधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया है।
आंदोलन को लेकर गहन विचार विमर्श में यह बात उभरी कि प्रतियोगी छात्रों व बेरोजगारों के भविष्य के साथ किए जा रहे खिलवाड़ के लिए मुख्य तौर पर सरकार तो जिम्मेदार है लेकिन अध्यक्ष द्वारा भी अपनी जवाबदेही व कर्तव्यों के निर्वहन न करने से मौजूदा हालात पैदा हुए हैं।
बैठक में कहा गया कि शिक्षक भर्ती-2011 की परीक्षा जून 2017 में आयोजित हुई थी, मगर आज तक इसका परिणाम नहीं आया है। अगर तत्परता से काम बोर्ड द्वारा किया गया होता तो मार्च में सत्ता परिवर्तन के पूर्व ही रिजल्ट भी आ गए होते और 2016 की परीक्षा भी चुनाव पूर्व ही आयोजित करा ली गई होती। सत्ता परिवर्तन के साथ एक गलत परंपरा अथवा सरकार के दबाव में पूर्व सरकार द्वारा नामित अध्यक्ष खुद इस्तीफा देते रहे हैं। इस बार अध्यक्ष को सरकार नामित नहीं बल्कि हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत चयन किया था। यही विवाद का प्रमुख बिंदु है और मौजूदा टकराव व योगी सरकार द्वारा आयोग-चयन बोर्ड इत्यादि संस्थाओं में रोज ब रोज के कामकाज में दखलंदाजी करने, उनकी स्वायत्तता का हनन करने से प्रदेश में पूरी चयन प्रक्रिया ठप है।
दरअसल होना यह चाहिए था कि योगी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री द्वारा चुनाव में 90 दिन में समस्त खाली पदों पर भर्ती शुरू करने के महत्वपूर्ण वादे को पूरा करने का प्रयास किया जाता, परन्तु दुर्भाग्य से इस वादे पर सरकार गंभीर नहीं है उलटे अन्य मामलों में उलझा कर फिर उसी तरह भर्तियां न्यायालय में जाकर ही पूर्ण होंगी जिससे भर्तियों में भारी विलंब होना तय हैं।
जिलाधिकारी द्वारा ज्ञापन प्रेषित कर शासन से यह मांग की जाएगी कि शासन व बोर्ड दोनों मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हर हाल में 15 अगस्त के पूर्व सभी परिणाम घोषित किये जायें और 2016 की परीक्षा बोर्ड द्वारा घोषित की गई तिथियों पर ही हो। मर्जर प्रक्रिया अथवा कारणों से इसमें कोई व्यवधान न पैदा किया जाए।