भोपाल, (हि.स.)। सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित क्षेत्रों के लोग विस्थापन को लेकर जहां प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की राह पर उतर आए हैं, वहीं राजनीतिक दल भी राजनीतिक रोटियां सेंकने में पीछे नहीं हैं। मेधा पाटकर की अगुवाई में नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता तो उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को विस्थापन की समयसीमा समाप्त होने के बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने उग्र प्रदर्शन करते हुए कई जगह हंगामा किया और शाम को उन्होंने हद ही कर दी। कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के राजस्व कर्मचारियों और एन.डी.आर.एफ. के कम्पनी कमाण्डर और जिला सेनानी आदि को बंधक बना लिया और शासकीय कार्य में हस्तक्षेप करने और शासकीय अभिलेख और नस्तियों को छीनकर आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर को सौंप दिया। बुधवार को भी सुबह से ही नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता जगह-जगह हंगामा करते हुए उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं।
मंगलवार को राहत एवं बचाव कार्य संबंधी सर्वेक्षण कर रहे एन.डी.आर.एफ. के कम्पनी कमाण्डर बुधराम देवासी, जिला सेनानी नगर सेना विनोद बौरासी एवं अन्य को चिखल्दा नर्मदा तट पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने घेरकर अनशन स्थल पर ले जाकर करीब 3 घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। स्थानीय पुलिस अधिकारियों के जाने पर बड़ी मुश्किल से इन अधिकारियों को अनशन स्थल से जाने दिया गया।
इसी प्रकार नायब तहसीलदार कमल मण्डेलिया, रामअवतार ओझा, राजस्व निरीक्षक, पटवारियों एवं ग्राम पंचायत सचिव सिसगांव के दल द्वारा डूब प्रभावित ग्राम बटगाँव में डूब प्रभावित व्यक्तियों की सूची का भू-खण्ड वितरण के लिये सत्यापन कार्य करने गए थे। उस दौरान बड़वानी जिले के ग्राम चिखल्दा और बटगाँव के नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने अन्य ग्रामीणों की मदद से दल के सदस्यों को घेरकर नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनशन स्थल चिखल्दा में मेधा पाटकर के समक्ष डेढ़ किलोमीटर पैदल चलाकर घेरा बनाकर ले गए। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं द्वारा दल के सदस्यों से शासकीय कागज एवं फाइलें छीनकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर को सौंपी गयी। मेधा पाटकर द्वारा भी दल के सदस्यों से अनावश्यक सवाल-जवाब किये गये। स्थानीय पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद इस दल को करीब एक घंटे बाद छोड़ा गया। पुलिस द्वारा उक्त घटना पर चौकी निसरपुर में धारा 365, 342, 353 एवं 34 भारतीय दण्ड विधान के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
कुल मिलाकर नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे विस्थापन को रोकने का प्रयास करते हुए माहौल का अराजक बनाने में जुटे हैं। वहीं अन्य राजनीतिक दल भी इसमें अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस मौके को भुनाने में लगे हुए हैं।