लखनऊ, (हि.स.)। जूट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सनई की खेती होगी। इस पर प्रदेश के कृषि विभाग ने काम करना शुरू कर दिया है। केन्द्र सरकार की जूट तकनीकी मिशन और विशेष जूट कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 30 जिलों में सनई की खेती के लिए चयन किया गया है। इन जिलों में किसानों को विभाग सनई की खेती को प्रोत्साहित करने के साथ ही मदद भी दे रहा है।
उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़, जौनपुर, आजमगढ़, सुल्तानपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, गाजीपुर, वाराणसी, बांदा और इलाहाबाद ऐसे जिले हैं जहां पर सनई की खेती सबसे ज्यादा होती है।
प्रदेश कृषि विभाग के निदेशक ज्ञान सिंह ने बताया कि प्रदेश में सनई रेशा वाली फसलों के विकास के लिए योजना चल रही है। इस योजना से किसानों को लाभ मिलेगा साथ ही प्रदेश में रेशा उत्पादन और रेशा की गुणवत्ता में वृद्धि भी इस योजना से होगी।
सनई अनुसंधान संस्थान प्रतापगढ़ के कृषि वैज्ञानिक डा. मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि सनई के रेशे से परंपरागत रूप से रस्सियां, तिरपाल, मछली पकड़ने के जाल, सुतली डोरी और झोले बनाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि सनई के रेशे को अब उच्च कोटि के टिश्यू पेपर, सिगरेट पेपर, नोट बनाने के पेपर तैयार करने के लिए सबसे उपयुक्त कच्ची सामग्री के रूप में पहचाना गया है। सनई का रेशा निकालने के बाद इसकी लकड़ी को जलाने, छप्पर और कागज बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। डॉ त्रिपाठी ने बताया कि सनई की खेती हरी खाद और चारे के लिए भी की जाती है।