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पॉलिटिकल सोशियोलॉजी के पाठ्यक्रम से एक पुस्तक हटाने पर हंगामा
By Deshwani | Publish Date: 26/6/2017 3:39:21 PM
पॉलिटिकल सोशियोलॉजी के पाठ्यक्रम से एक पुस्तक हटाने पर हंगामा

 नई दिल्ली,  (हि.स.)। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की अकादमिक कौंसिल की लगभग 40 घंटे लंबी चली बैठक में सोशियोलॉजी विभाग के पेपर पॉलिटिकल सोशियोलॉजी से नंदिनी सुंदर की पुस्तक 'burning jungle indias war in buster' को हटाने को लेकर कई घंटे बहस चली, जिसमें हंगामा भी हुआ। 

जब कम्युनिस्ट सदस्यों ने सभी रंग के फूलों को खिलने देने का तर्क दिया तो एनडीटीएफ से सम्बद्ध ऐकडेमिक कौंसिल सदस्य डॉ. रसाल सिंह 'indias war in kannur' का मुद्दा उठाते हुए केरल में सत्ताधारी कम्युनिस्ट द्वारा आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्याओं का विवरण देने वाली हृदयस्पर्शी पुस्तक 'आहुति' को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात रखी।

लंबी बहस के बाद उस पाठ्यक्रम को सुधार के लिए वापस सोशियोलॉजी विभाग भेजवा दिया।इसी पेपर में सोशल मूवमेंट्स इन इंडिया टॉपिक लगाने के बावजूद दलित आंदोलन को उससे बाहर रखने और कोई भी अच्छी किताब न लगाने पर भी डॉ. रसाल सिंह द्वारा आपत्ति व्यक्त की गयी।

इससे पहले, डीटीएफ से सम्बद्ध शिक्षकों ने शीघ्र शुरू होने वाले 'दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म' की सलाहकार समिति में ऑर्गनाइसर के संपादक प्रफुल्ल केतकर को रखने पर विरोध व्यक्त किया तो फिर एनडीटीएफ से सम्बद्ध सदस्यों ने सिद्धार्थ वरदराजन आदि के नाम पर आपत्ति की।

डॉ. रसाल सिंह द्वारा ऐकडेमिक कौंसिल में कॉलेजों द्वारा दो से तीन बार ली गयी एप्लीकेशन शुल्क की वापसी, एसओएल और एनसीडब्लूईबी की 50% कक्षाएं एलिजिबल किन्तु कहीं नहीं पढ़ा रहे, गेस्ट साथियों को वरीयता क्रम में देना, विश्वविद्यालय में सर्विस चार्टर लागू करना, स्क्रीनिंग, पीजी होस्टल्स की केन्द्रीय प्रवेश प्रक्रिया, इनविग्लिशन ड्यूटीज में अढ़ॉक साथियों के साथ भेदभाव की समाप्ति, एसी में छात्रों, नॉन टीचिंग स्टाफ और एसी एसटी और दिव्यांग शिक्षकों की भागीदारी, हर जोन से कम से कम एक बड़े हॉस्पिटल को कैशलेश करना, लाइब्रेरी में एक दो रीडिंग हॉल बढ़ाना, नेट परीक्षा फॉर्म की सरलता और शीघ्रता से प्राप्ति और टीचर्स के लिए, कैंपस में बुक शॉप और कॉफी हाउस खोलने आदि विषय उठाये गए। 

कुलपति प्रो. योगेश कु त्यागी और उनकी टीम ने मुद्दों पर तुरंत काम करने का आश्वासन दिया। डॉ. रसाल सिंह ने बैठक के बाद बताया कि 'प्रो. त्यागी की कार्यशैली में स्टेट्यूटरी संस्थाओं और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति गहरा सम्मान झलकता है। यह एकदम नया और सुखद अनुभव है। वे दिल्ली विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।'

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