लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से रविवार को राजभवन में आपातकाल लोकतंत्र सेनानी समिति के सदस्यों ने भेंट करके अपना मांग पत्र सौंपा।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रज किशोर मिश्रा ने बताया कि आपातकाल के समय लगभग 62 हजार लोग जेल गए लेकिन बहुत से लोगों के जेल या कोर्ट में जाने का कोई रिकार्ड न होने के कारण उन्हें लोकतंत्र सेनानी नहीं घोषित किया जा सका। राज्य सरकार द्वारा लगभग चार हजार लोगों को पेंशन दी जा रही है।
राज्यपाल ने प्रतिनिधिमण्डल को आश्वासन देते हुए कहा कि मांग पत्र को यथाशीघ्र आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रधानमंत्री को अपनी संस्तुति सहित प्रेषित करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन बिन्दुओं पर राज्य सरकार से चर्चा करनी होगी वे उस पर मुख्यमंत्री से भी वार्ता करेंगे। प्रतिनिधिमण्डल में समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रज किशोर मिश्रा, रमाशंकर त्रिपाठी, टापूराम गुप्ता, राजेन्द्र तिवारी सहित समिति के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने आपातकाल को याद करते हुए कहा कि अगर आपातकाल न होता तो वे चुनावी राजनीति के क्षेत्र में न होते। आपातकाल के कारण देश का काफी नुकसान हुआ। 25 व 26 जून, 1975 में देश में आपातकाल घोषित कर दिया गया, जिसके बाद जनसंघ, समाजवादी पार्टी, संगठन कांग्रेस, सर्वोदयवादी आन्दोलन तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई कार्यकर्ता गिरफ्तार कर लिए गए। उस दौरान वे जनसंघ मुंबई के संगठन मंत्री थे।
राज्यपाल ने बताया कि उन्हें सत्याग्रह कराने, आपातकाल के विरोध में प्रचार-प्रसार करने, गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के परिवारों का देखभाल करने एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से अन्य दलों का समन्वय करने की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने आपातकाल के बाद पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मोरारजी देसाई के मुंबई दौरे और जय प्रकाश नारायण के जसलोक अस्पताल में भर्ती होने के साथ आपात से जुड़े कई प्रसंगों को साझा किया। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों को अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!’ की हिन्दी प्रति भी भेंट की जिसमें आपातकाल का विशेष रूप से उल्लेख है।