लखनऊ, (हि.स.)। लखनऊ में बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों की अब खैर नहीं। इसके खिलाफ एक जुलाई से अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए जिला विद्यालय निरीक्षक की अध्यक्षता में टीमें गठित करने की प्रकिया शुरू कर दी गई है। टीम में राजकीय कॉलेज के प्रधानाचार्य को शामिल किया जाएगा। टीम ऐसे स्कूलों को चिन्हित कर इसकी रिपोर्ट जिलाविद्यालय निरीक्षक को सौंपेगे। इसके बाद इस पर कार्रवाई होगी।
उन्होंने लोगों से फिर अपील की है कि वह अपने क्षेत्र में बिना मान्यता के संचालित स्कूलों की फोटो के साथ जानकारी उपलब्ध कराएं। एक शिकायत प्रकोष्ठ भी बनाया जाएगा जिसमें अमान्य विद्यालयों के संबंध में शिकायतें दर्ज की जाएंगी। पिछले साल बीएसए की ओर सभी फर्जी स्कूलों को बंद करने का नोटिस जारी किया गया था। तब इन स्कूल प्रबंधकों ने अपनी दुकानें बंद कर दी थीं। लेकिन अब दूसरे नाम और बोर्ड से संबद्धता बताकर फिर से खेल शुरू कर दिया है। कानपुर रोड और बिजनौर के आसपास के क्षेत्रों में यह फर्जी विद्यालय अप्रैल से शुरू होने वाले सेशन के लिए जोर-शोर से प्रचार भी कर रहे हैं।
राजधानी में हर साल बिना मान्यता ही बड़ी संख्या में स्कूल संचालित होते हैं। गली कूचों में छोटे-छोटे कमरों में चलने वाले इन स्कूल के पास न मान्यता है और ही संसाधन। फिर भी पैरेंट्स को मान्यता होने का दावा कर ये स्कूल सुविधा देने के नाम पर पैरेंट्स को लूटने से गुरेज नहीं करते। कई तो अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई होने का दावा करते हैं।
वहीं सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों व कर्मचारियों के बीच अब वरिष्ठता का विवाद ने हो इसके लिए जिला विद्दालय निरीक्षक ने योजना तैयार की है। अब सभी शिक्षकों व कर्मचारियों की वरिष्ठता तैयार की जाएगी। इस संबंध में विद्यालय के प्रबंधक व प्रिंसिपल को अपने यहां तैनात शिक्षकों व कर्मचारियों का नाम, स्कूलों का नाम, कार्यभार ग्रहण करने की तारीख सहित पूरा विवरण देना होगा।
डीआईओएस मुकेश कुमार सिंह ने कहा है कि सरकारी स्कूलों की भी प्राइवेट स्कूलों जैसी मार्केटिंग जरुरी है। उनके मुताबिक स्कूलों में प्रवेश और संसाधनों से संबंधित लैक्स तैयार कराकर प्रचार-प्रसार कराया जाए। एक सप्ताह तक प्रवेशोत्सव मनाया जाएगा। स्कूल परिसर स्थित भवन की पुताई, सफाई, शौचालय की सफाई व सुंदरीकरण, स्वच्छ पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था, पुस्तकालय आदि सफाई पर ध्यान दिया जायेगा।