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नाईक पीएम को भेजेंगे लोकतंत्र सेनानियों की मांगें
By Deshwani | Publish Date: 25/6/2017 6:02:09 PM
नाईक पीएम को भेजेंगे लोकतंत्र सेनानियों की मांगें

 लखनऊ, (हि.स.)। राज्यपाल राम नाईक से रविवार को आपातकाल की 42वीं वर्षगांठ पर आपातकाल लोकतंत्र सेनानी समिति के सदस्यों ने राजभवन में भेंट कर उन्हें अपना मांग पत्र सौपा। समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रज किशोर मिश्रा ने बताया कि उस वक्त करीब 62 हजार लोग जेल गये थे, लेकिन बहुत से लोगों के जेल या कोर्ट में जाने का कोई रिकार्ड न होने के कारण उन्हें लोकतंत्र सेनानी नहीं घोषित किया गया। राज्य सरकार करीब 6,300 लोगों को पेंशन दे रही है। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमण्डल को आश्वासन देते हुये कहा है कि वह मांग पत्र को जल्द ही आवश्यक कार्यवाही के लिये प्रधानमंत्री को अपनी संस्तुति के साथ भेजेंगे। 

उन्होंने कहा कि जिन बिन्दुओं पर राज्य सरकार से चर्चा करनी होगी, वे उस पर मुख्यमंत्री से भी वार्ता करेंगे। प्रतिनिधिमण्डल में समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रज किशोर मिश्रा, रमाशंकर त्रिपाठी, टापूराम गुप्ता, राजेन्द्र तिवारी सहित अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे। राज्यपाल राम नाईक ने आपातकाल को याद करते हुये कहा कि अगर आपातकाल न होता तो वे चुनावी राजनीति के क्षेत्र में न होते। आपातकाल के कारण देश का काफी नुकसान हुआ। 25-26 जून 1975 की रात देश में आपातकाल घोषित कर दिया गया। जनसंघ, समाजवादी पार्टी, संगठन कांग्रेस, सर्वोदयवादी आन्दोलन तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई कार्यकर्ता गिरफ्तार कर लिये गये। वे जनसंघ मुंबई के संगठन मंत्री थे।

उन्होंने बताया कि उन्हें सत्याग्रह कराने, आपातकाल के विरोध में प्रचार-प्रसार करने, गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के परिवारों की देखभाल करने एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से अन्य दलों का समन्वय करने की जिम्मेदारी दी गयी थी। उन्होंने आपातकाल के बाद पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मोरारजी देसाई के मुंबई दौरे और जय प्रकाश नारायण के जसलोक अस्पताल में भर्ती होने का भी प्रसंग बताया। नाईक ने बताया कि आपातकाल के दौरान उनकी अनुपस्थिति में उनके आवास पर तलाशी के लिये पुलिस ने छापा मारा, मगर किसी प्रकार का कोई आपत्तिजनक साहित्य नहीं मिला। उस समय संयोग से घर में कोई नहीं था और उसी दिन बेटी के हाईस्कूल का परीक्षाफल घोषित हुआ था। 

उन्होंने आपातकाल के विरोध में प्रचार-प्रसार को लेकर उस घटना का जिक्र किया, जिसमें अपने सहयोगी बबन कुलकर्णी, महासचिव, मुंबई जनसंघ को अपनी स्कूटर से हैण्डबिल व स्टेन्सिल लेकर मुलुंड जाने के लिए दादर स्टेशन पर छोड़ा। आधा घंटा बाद फोन पर कुलकर्णी की हार्ट अटैक के कारण निधन की सूचना मिली। कुलकर्णी के पास जो ब्रीफकेस था, उसे एक दोस्त के माध्यम से वापस मंगवाया। क्योंकि उसमें हैण्डबिल में आपातकाल में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा जेल में लिखी कविता ‘टूट सकते हैं मगर झुक नहीं सकते...’ लिखी थी। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों को अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की हिन्दी प्रति भी भेंट की, जिसमें आपातकाल का विशेष रूप से उल्लेख है। 

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