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युवाओं का आंदोलन था आपातकाल : लालजी टंडन
By Deshwani | Publish Date: 25/6/2017 3:55:18 PM
युवाओं का आंदोलन था आपातकाल : लालजी टंडन

 लखनऊ, (हि.स.)। आपातकाल का आंदोलन युवाओं का आंदोलन था। तानाशाही के खिलाफ देश के युवा आंदोलन के लिए जाग्रत हुए संघ के स्वयं सेवकों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। लाखों स्वयंसेवक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही के शिकार बने। बेगुनाहों को जेल में डाला गया। देश में उनके खिलाफ राष्ट्रवादियों का आंदोलन तीव्र से तीव्रतर होता गया। आखिरकार इंदिरा सरकार पराजित हुई। देश में नया सवेरा आया और संघ के नेतृत्व में राष्ट्रवादी सरकार बनी। यह बात कमल ज्योति द्वारा आयोजित पं. दीन दयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के तहत आयोजित कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व सांसद लालजी टंडन ने कही। 

आपातकाल की पूर्व संध्या पर आयोजित संगोष्ठी में लखनऊ में गिरफ्तार रहे 11 मीसाबंदियों का सम्मान किया गया। जिसमें महात्मा गांधी के साथ कार्यरत रहे बुजुर्ग शामिल थे। भाजपा उत्तर प्रदेश की राजनीतिक विचार पाक्षिक पत्रिका कमल ज्योति के आयोजित समारोह में टंडन ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर बोलते हुए कहा कि एक से अधिक संस्कृतियों का नारा देश के टुकड़े-टुकड़े कर हमारे जीवन का विनाश कर देगा। उन्होंने कहा कि इसी भावना और विचार से भारत की एकता तथा अखण्डता बनी रह सकती है, तभी हम अपनी सम्पूर्ण समस्याओं को सुलझा सकते हैं। ऐसे में भारत में एक ही संस्कृति रह सकती है। संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी प्रेक्षागृह में टंडन ने कहा कि दीनदयाल जी के मार्ग पर ही आगे चलकर, देश की संस्कृति को अक्षुण्ण करने का सपना लेकर जनसंघ से लेकर भाजपा तक का सफर हमने तय किया है।
संगोष्ठी में कार्यक्रम के अध्यक्ष एकेटीयू के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने कहा कि एक संस्कृतिवादी लोग ही ऐसे हैं, जिनके समक्ष और कोई ध्येय नहीं है तथा जैसा कि हमने देखा संस्कृति ही भारत की आत्मा होने के कारण वे भारतीयता की रक्षा एवं विकास कर सकते हैं। शेष सब तो पश्चिम का अनुकरण करके या तो पूंजीवाद अथवा रूस की तरह आर्थिक प्रजातन्त्र तथा राजनैतिक पूंजीवाद का निर्माण करना चाहते हैं। अतः उनमें सब प्रकार की सद्भावना होते हुए भी इस बात की सम्भावना कम नहीं है कि उसके द्वारा भी भारतीय आत्मा का तथा भारतीयत्व का विनाश हो जाय। 
आपातकाल की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए लोकतंत्र सेनानी और राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ओमपाल ने कहा कि, 25 जून 1975 की आधी रात से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। 
समारोह में आपातकाल के दौरान लखनऊ की जेल में बंद रहे 11 लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया गया। इसमें 1948 के प्रचारक रमाशंकर उपाध्याय, संघ प्रचारक ओमपाल, पूर्व एमएलसी विन्ध्यवासिनी कुमार, भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र तिवारी, एडवोकेट सतीश चंद्र राय, रमाशंकर त्रिपाठी, गणेश राय, अजीत कुमार सिंह, महेन्द्र सिंह, वनवासी कल्याण आश्रम के संगठन मंत्री माणिरामपाल, 13 साल की उम्रमें मीसाबंदी रहे दीपक अग्निहोत्री एवं लालजी टंडन स्वयं शामिल रहे। समारोह में प्रो दीनानाथ सिंह एवं डॉ. हरनाम सिंह की लिखी पुस्तक दीनदयाल जी की चिंतन दृष्टि को लोकार्पण किया गया। 
 
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