वाराणसी, (हि.स.)। धर्मनगरी काशी के लक्खा मेले में शुमार तीन दिवसीय रथयात्रा मेले का आगाज रविवार को हो गया। ब्रह्म मुहूर्त में तड़के 3 बजे पीतांबर वस्त्र में रथ पर आरुढ़ भगवान जगन्नाथ भाई बलराम व बहन सुभद्रा की मंगला आरती पं. श्रीराम शर्मा की देखरेख में की गई।
भगवान को भोग में मिठाइयां, फल, दूध, मलाई, मक्खन व मिश्री के साथ चना, मूंग, मटर का भी भोग लगाया गया। सुबह लगभग 5:15 बजे रथ पर आसीन प्रभु के सामने से परदा हटा और भक्तों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच रथारूढ़ पीताम्बरधारी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के सामने हाजिरी लगानी शुरू कर दी। परम्परागत तरीके से रथ के पहियों का स्पर्श कर हजारों भक्त मनौती भी मानी। इसके बाद सुबह आठ बजे केसरिया पेड़ा का भोग लगाने के बाद प्रसाद श्रद्धालुओं में बांटा गया। इस दौरान देर रात तक हर घंटे प्रभु को तरह-तरह के मिष्ठान, पेय पदार्थों का भोग भी लगता रहा।
पंडित श्रीराम शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि आज के दिन भगवान जगन्नाथ का दर्शन-पूजन करने से सवा लाख यज्ञ के पुण्य के बराबर फल मिलता है। बताया कि भगवान जगन्नाथ को पहले दिन पीले रंग की चीजें चढ़ाई जाती हैं।
उधर पूरे दिन धूपछांव और उमस से भी श्रद्धालु बेहाल रहे। दर्शन पूजन के दौरान पूर्वाह्न 11:30 बजे भोग आरती के बाद पट बंद कर दिया गया। अपराह्न 03 बजे पुन: पट खुला और वहां दर्शनार्थियों की भीड़ बढ़ गई। रात 08 बजे सप्तर्षि आरती की गई और रात्रि 12 बजे शयन आरती के साथ प्रभु के दरबार का पट बंद कर दिया गया। मेले में विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से शिविर लगाए गए साथ ही इस रूट पर यातायात भी प्रतिबंधित किया गया है।